बिजनौर में नायब तहसीलदार राजकुमार की मौत, माता-पिता और पत्नी की हालत हुई बदतर
जिले में नायब तहसीलदार राजकुमार की मौत के बाद उनका परिवार शोक में डूबा हुआ है। मृतक के माता-पिता, पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य इस गहरे दुख से उबरने की स्थिति में नहीं हैं। राजकुमार की असमय मौत ने उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य को बुरी तरह से झकझोर दिया है, और उनका दिल टूट गया है।
राजकुमार की मौत के बाद उनके पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनका कहना था, "बेटे के बिना, हमने कभी खाना नहीं खाया। उसकी मां भी उसके बिना कुछ नहीं खाती थी। अब हमारा क्या होगा?" पिता के दिल में बेटे की यादों का दर्द साफ झलक रहा था। पिता ने अपनी पत्नी को गले लगाकर फूट-फूटकर खूब रोते हुए कहा, "राजकुमार हमारे लिए सब कुछ था। अब हम अकेले हैं।"
राजकुमार की मां भी इस दुख के जख्म से उबरने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उनका दिल टूट चुका है। उनकी आंखों से आंसू लगातार बहते रहे। वे किसी से बात करने की स्थिति में नहीं थीं। पिता और मां दोनों की स्थिति बेहद दयनीय थी, जैसे ही वे एक-दूसरे के गले लगे, उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। इस अप्रत्याशित घटना ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
राजकुमार की पत्नी की हालत भी बहुत गंभीर है। शोक के कारण वह अपने होश में नहीं हैं। उनके चेहरे पर गहरी उदासी और आंखों में अजनबीपन दिखाई दे रहा है। पत्नी की आँखें पथरीली हो गई हैं, जैसे किसी ने उन्हें किसी अन्य दुनिया में ले जाने की कोशिश की हो। उनका गम इतना गहरा है कि उन्हें अपने आस-पास की कोई भी चीज़ समझ नहीं आ रही है। उनके आसपास के लोग उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका दर्द शब्दों से परे है।
राजकुमार की असमय मौत से उनका परिवार ही नहीं, बल्कि उनके दोस्त, सहकर्मी और समाज भी गहरे शोक में डूबे हुए हैं। राजकुमार के निधन से प्रशासनिक विभाग में भी शोक की लहर दौड़ गई है। उनके योगदान को याद करते हुए कई अधिकारी और कर्मचारी उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। राजकुमार का परिवार इस दुखद समय में अकेला महसूस कर रहा है, और अब उन्हें उम्मीद है कि समाज और रिश्तेदार उन्हें इस कठिन घड़ी में संबल प्रदान करेंगे।
राजकुमार की मौत के बाद उनके परिवार की स्थिति पर चिंता जताते हुए कई समाजसेवी और प्रशासनिक अधिकारी उनके परिवार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दे रहे हैं। हालांकि, इस समय किसी भी सहायता से उनका गम कम नहीं हो सकता, लेकिन समाज का सहयोग उन्हें कुछ राहत दे सकता है।
राजकुमार के असमय निधन ने उनके परिवार को अपूरणीय क्षति दी है, और इस दुख से उबरने में उन्हें काफी समय लग सकता है। उनकी यादें और उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्य हमेशा उनके परिवार और समाज में जीवित रहेंगी।

