मुसाफिरखाना पुलिस पर नाबालिगों की पिटाई का आरोप, दो सिपाही निलंबित, एएसपी को सौंपी गई जांच

जिले के मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र में पुलिस की बर्बरता का एक गंभीर मामला सामने आया है। चोरी की आशंका में चार पुलिसकर्मियों ने दो नाबालिगों और उनके एक साथी को बेरहमी से पीट दिया। आरोप है कि उन्हें पट्टे, डंडे और लात-घूंसों से बुरी तरह मारा गया। यही नहीं, पुलिस ने दोनों नाबालिगों का शांतिभंग में चालान भी कर दिया।
यह घटना 30 जून की रात की है, जब पुलिस ने एक गांव से तीनों युवकों को हिरासत में लिया था। पीड़ितों के परिजनों का कहना है कि बिना किसी पुख्ता सबूत के बच्चों को घर से उठा लिया गया और कोतवाली ले जाकर घंटों पिटाई की गई।
मामला तब तूल पकड़ गया जब मंगलवार को पीड़ित परिवार सांसद किशोरीलाल शर्मा से मिले और पूरी घटना की जानकारी दी। सांसद के संज्ञान में आते ही प्रशासन हरकत में आया और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए। एसपी अपर्णा रजत कौशिक ने प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए दो सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एएसपी शैलेंद्र सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और नाबालिगों के साथ किसी भी प्रकार की ज्यादती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उधर, पीड़ित परिवार और स्थानीय ग्रामीणों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। लोगों का कहना है कि बच्चों को बिना किसी ठोस सबूत के रात में उठा ले जाना और फिर कोतवाली में पीटना पूरी तरह से पुलिसिया दमन का उदाहरण है। यदि मामले को सांसद तक न पहुंचाया जाता, तो शायद कार्रवाई भी न होती।
इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस की है, वहीं दूसरी ओर इसी तंत्र का दुरुपयोग आम नागरिकों खासकर बच्चों के खिलाफ हो रहा है, जो बेहद चिंताजनक है।
मानवाधिकार संगठनों ने भी इस घटना पर चिंता जताई है और मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर केवल निलंबन नहीं, बल्कि आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
फिलहाल, एएसपी स्तर पर जांच शुरू हो चुकी है और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। इस पूरे प्रकरण की निगरानी स्वयं एसपी कर रही हैं। जिलेभर में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है और लोगों को उम्मीद है कि दोषियों को जल्द सजा मिलेगी।