
मेरा क्या कसूर था, जो आपने मुझे ऐसी सजा दी… मां, मैं तो आपका आंचल थी।”
ये दर्दनाक शब्द उस मासूम की खामोशी में छिपे थे, जिसे उसकी अपनी मां ने जन्म के चंद घंटों बाद ही कपड़े में लपेटकर सड़क किनारे फेंक दिया। मंगलवार तड़के यह दिल दहला देने वाली घटना नौबस्ता थानाक्षेत्र के बी ब्लॉक में सामने आई, जहाँ एक टेंट हाउस के पास फेंकी गई नवजात बच्ची को देखकर हर आंख नम हो गई।
कुत्तों की भौंक से खुला राज
सुबह करीब 4:35 बजे, इलाके में कुत्तों के भौंकने की आवाज ने आसपास के लोगों का ध्यान खींचा। जब कुछ लोगों ने बाहर निकलकर देखा तो सड़क किनारे एक कपड़े में लिपटी नवजात बच्ची पड़ी थी, जो ठंड से कांप रही थी और ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी। भीड़ जुटी और किसी ने पुलिस को सूचना दी।
मासूम की हालत नाजुक, अस्पताल में भर्ती
सूचना मिलते ही नौबस्ता थाना पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची की हालत फिलहाल स्थिर है, लेकिन उसे ठंड और संक्रमण से बचाने के लिए विशेष निगरानी में रखा गया है।
रिश्तों को किया शर्मसार
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी गुस्सा और दुख है। लोगों का कहना है कि एक ओर जहां बच्चे पाने के लिए लोग मंदिरों में मन्नतें मांगते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे हैं जो मासूम को कचरे की तरह फेंकने में नहीं हिचकिचाते। घटना को लेकर इलाके में गहरा रोष व्याप्त है और लोग मां की इस निर्दयता की निंदा कर रहे हैं।
पुलिस जुटी जांच में
पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं ताकि बच्ची को फेंकने वाले की पहचान की जा सके। थाना प्रभारी का कहना है कि “ये केवल कानून का मामला नहीं, बल्कि समाज की संवेदना का प्रश्न है। आरोपी चाहे जो भी हो, उसे जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।”
समाज से उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से समाज के सामने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं —
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क्या हमारी सामाजिक व्यवस्था इतनी असंवेदनशील हो गई है कि एक मां अपने जिगर के टुकड़े को सड़क पर मरने के लिए छोड़ दे?
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कहां हैं वे लोग जो ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारे लगाते हैं?
उम्मीद की किरण
बचाव के बाद बच्ची को देखने अस्पताल पहुंची एक स्वयंसेवी संस्था ने उसे गोद लेने की इच्छा जताई है। अधिकारियों का कहना है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्ची को किसी योग्य दंपती को सौंपा जाएगा।