कचरे की गाड़ी में बैठकर लोगों के बीच पहुंचे राज्यमंत्री असीम अरुण, समस्याएं जानने का अनोखा तरीका अपनाया

उत्तर प्रदेश सरकार में समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण एक बार फिर अपने अनोखे और ज़मीनी अंदाज़ को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने लोगों की समस्याएं जानने के लिए एक बिल्कुल अलग तरीका अपनाया – कचरे की गाड़ी में बैठकर वे खुद घर-घर पहुंचे और आम नागरिकों से सीधे संवाद किया।
इस घटना की तस्वीरें और जानकारी खुद मंत्री असीम अरुण ने सोशल मीडिया पर साझा की, जिसके बाद यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गई और लोगों में चर्चा का विषय बन गई। पोस्ट में उन्होंने लिखा कि इस पहल का उद्देश्य जनसंपर्क को व्यवहारिक रूप से समझना और सफाई व्यवस्था की वास्तविक स्थिति का आकलन करना था।
घर-घर जाकर बातचीत, सफाई व्यवस्था पर खास फोकस
असीम अरुण ने बताया कि वह नगर पालिका की कचरा संग्रहण गाड़ी में सवार होकर मोहल्लों का दौरा कर रहे थे ताकि यह समझ सकें कि लोगों को सफाई, कूड़ा निस्तारण, नालियों की स्थिति, और अन्य स्थानीय समस्याओं को लेकर क्या कठिनाइयाँ हो रही हैं। उनके इस दौरे के दौरान लोगों ने खुले मन से अपनी शिकायतें साझा कीं, जैसे कचरे की गाड़ी समय पर न आना, सफाई कर्मचारियों की लापरवाही और जलभराव की समस्या।
राज्य से लेकर स्थानीय स्तर तक समाधान के सुझाव
राज्यमंत्री ने अपने पोस्ट में बताया कि उन्होंने इस दौरे के आधार पर राज्य और पालिका स्तर पर कई जरूरी उपायों का सुझाव भी तैयार किया है, जिसमें शामिल हैं:
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कचरा संग्रहण की निगरानी को डिजिटल रूप देना,
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हर मोहल्ले में शिकायत निवारण केंद्रों की स्थापना,
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सफाई कर्मचारियों के लिए समयबद्ध कार्य प्रणाली लागू करना,
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और नगर पालिका कर्मियों की जवाबदेही तय करना।
नागरिकों से भी की सहयोग की अपील
सिर्फ प्रशासनिक सुधारों की बात नहीं, असीम अरुण ने नागरिकों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि:
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वे कचरा तय समय और स्थान पर ही दें,
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खुले में कूड़ा न फेंकें,
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और स्वच्छता को लेकर खुद भी जागरूक बनें।
जनता से जुड़ाव का नया अंदाज़
पूर्व आईपीएस अधिकारी और अब मंत्री असीम अरुण अपनी सादगी और ज़मीनी कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले भी वे ट्रेनों में आम यात्रियों के साथ यात्रा करने, गांवों में रात बिताने और योजनाओं की जमीनी हकीकत देखने के लिए चर्चित रहे हैं।
इस बार कचरे की गाड़ी में बैठकर लोगों से संवाद करने की उनकी यह पहल एक मिसाल बनकर सामने आई है, जो दर्शाता है कि प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग यदि नीयत से काम करें, तो जनता से सीधा संवाद भी संभव है और समाधान भी।