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अंग्रेजों के दौर की यादें और गोरा कब्रिस्तान की रहस्यमयी सच्चा

अंग्रेजों के दौर की यादें और गोरा कब्रिस्तान की रहस्यमयी सच्चा

 प्रयागराज (जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था) प्रशासनिक और सांस्कृतिक दृष्टि से हमेशा से एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां के ऐतिहासिक स्थल, घाट, और धार्मिक महत्त्व के अलावा, अंग्रेजों के समय की एक अद्भुत पहचान आज भी मौजूद है, जो शहर के एक हिस्से में देखी जा सकती है। यह स्थान, जिसे 'गोरा कब्रिस्तान' के नाम से जाना जाता है, अंग्रेजों के शासनकाल से जुड़ा हुआ है और आज भी कुछ खास रहस्यों से घिरा हुआ है।

गोरा कब्रिस्तान का नाम सुनते ही एक अजीब सी चुप्पी और अजनबीयत का एहसास होता है, खासकर शाम के समय जब इस स्थान पर जाने पर प्रतिबंध होता है। यह कब्रिस्तान, जो ब्रिटिश सैनिकों और अधिकारियों की अंतिम resting place है, अब भी अंग्रेजों के दौर की निशानी के रूप में अस्तित्व में है। खास बात यह है कि शाम 6 बजे के बाद इस इलाके में पूरी तरह से नो एंट्री हो जाती है।

यहां की सुरक्षा इतनी कड़ी है कि इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर सरकार के हाथ में है। इन कब्रों के आसपास का क्षेत्र ऐतिहासिक महत्व रखता है और यहां की सुरक्षा को लेकर सरकार काफी गंभीर है। लोगों का मानना है कि गोरा कब्रिस्तान में कुछ रहस्यमयी शक्तियाँ हैं, जो शाम के बाद सक्रिय हो जाती हैं। हालांकि यह सिर्फ एक धारणा है, लेकिन यह जगह आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो इतिहास और पुरानी कहानियों में रुचि रखते हैं।

इस कब्रिस्तान का इतिहास बहुत ही दिलचस्प है। जब अंग्रेजों का भारत में शासन था, तो उन्होंने इस क्षेत्र में एक सैन्य बस्ती बनाई थी और इस बस्ती के ब्रिटिश सैनिकों को यहीं दफनाया गया था। इस कब्रिस्तान में दफनाए गए अधिकांश लोग ब्रिटिश सेना के कर्मी थे, जो भारत में अपने कार्यकाल के दौरान मारे गए थे। ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत यहां एक ताकतवर और सुरक्षित स्थान हुआ करता था, और इसकी स्थापत्य कला और संरक्षण आज भी समय की कसौटी पर खरा उतरता है।

गोरा कब्रिस्तान सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि यह आज भी उस दौर के प्रशासनिक और सांस्कृतिक अस्तित्व का प्रतीक है, जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। यह स्थल आज भी भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए दिलचस्प है, क्योंकि यह ब्रिटिश शासन के दौरान प्रयागराज के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को दिखाता है।

हालांकि समय के साथ बहुत कुछ बदल चुका है, लेकिन गोरा कब्रिस्तान अपने रहस्यमयी अतीत और उस दौर के अहम घटनाक्रमों को याद करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। यही कारण है कि इस जगह की सुरक्षा, खासकर शाम 6 बजे के बाद, सरकार द्वारा बेहद गंभीरता से की जाती है। यह स्थल आज भी उस ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा बना हुआ है, जिसे सहेज कर रखा गया है ताकि आने वाली पीढ़ियां इसे समझ सकें और इतिहास से जुड़ी इस महत्वपूर्ण कहानी को जान सकें।

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