नए भवन निर्माण उपविधियों को लेकर सक्रिय हुआ मेडा, बायलॉज-2025 लागू करने की प्रक्रिया शुरू
प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश आवास, भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2008 में अहम बदलाव करते हुए नए बायलॉज-2025 को मंजूरी दे दी गई है। इस नई नीति के तहत शहरी विकास और भवन निर्माण के मानकों में व्यापक सुधार की योजना है। मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) ने इस दिशा में त्वरित कदम उठाते हुए बायलॉज-2025 को अंगीकार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों से मांगे गए सुझाव
मेडा उपाध्यक्ष ने इस बदलाव को ज़मीन पर उतारने के लिए स्थानीय आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों के साथ बैठक की है। इस बैठक में उपाध्यक्ष ने सभी संबंधित पक्षों से दो से तीन दिनों के भीतर अपने सुझाव और आपत्तियां देने को कहा है, ताकि नए बायलॉज को अंतिम रूप देने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया जा सके। अधिकारियों का मानना है कि इन तकनीकी विशेषज्ञों की राय से बायलॉज को और व्यवहारिक बनाया जा सकता है।
रियल एस्टेट डवलपर्स के साथ अहम बैठक आज
नए बायलॉज को लेकर मंगलवार दोपहर 12:30 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक मेरठ विकास प्राधिकरण के कार्यालय में आयोजित की जाएगी। इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं मेडा उपाध्यक्ष करेंगे और इसमें शहर के प्रमुख रियल एस्टेट डवलपर्स को आमंत्रित किया गया है। बैठक का उद्देश्य नए नियमों की जानकारी साझा करना, उनके सुझाव लेना और भविष्य की निर्माण योजनाओं में समन्वय स्थापित करना है।
बाई सर्कुलेशन से अंगीकार की तैयारी
मेडा ने बायलॉज-2025 को बाई सर्कुलेशन (By Circulation) के माध्यम से अंगीकार करने की योजना बनाई है। इसका मतलब है कि बिना औपचारिक आमसभा की बैठक किए ही इस प्रस्ताव को स्वीकृति देने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि समय की बचत हो और फैसले में तेजी लाई जा सके।
क्या है बायलॉज-2025 की विशेषता?
बायलॉज-2025 का उद्देश्य शहरी विकास को अधिक सुनियोजित, पर्यावरण-संवेदनशील और आधुनिक तकनीक आधारित बनाना है। इसके तहत FAR (फ्लोर एरिया रेशियो), पार्किंग मानक, हरित क्षेत्र का अनुपात, और निर्माण सुरक्षा जैसे कई अहम बिंदुओं पर संशोधन किया गया है। माना जा रहा है कि इससे अव्यवस्थित निर्माण पर अंकुश लगेगा और रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी।
शहरी विकास को नई दिशा
नगर नियोजन विशेषज्ञों का मानना है कि नए बायलॉज के लागू होने से मेरठ सहित पूरे प्रदेश के शहरी विकास को एक नई दिशा मिलेगी। यदि स्थानीय निकाय इसे गंभीरता से लागू करें तो आने वाले वर्षों में अव्यवस्थित शहरीकरण की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

