रेल किराया वृद्धि पर मायावती का केंद्र पर हमला, कहा – “यह फैसला जनहित नहीं, व्यावसायिक सोच का परिणाम”

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में की गई रेल किराये में वृद्धि पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस फैसले को आम जनहित के खिलाफ बताते हुए केंद्र की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। मंगलवार को लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए मायावती ने कहा कि यह फैसला संविधान के कल्याणकारी उद्देश्य के विपरीत है और केंद्र सरकार की व्यावसायिक सोच को दर्शाता है।
“गरीब जनता पर सीधा हमला”
मायावती ने कहा कि देश की बड़ी आबादी पहले से ही भयानक महंगाई, बेरोजगारी और आय में गिरावट से जूझ रही है। उन्होंने कहा:
"जब देश की अधिकांश जनता भुखमरी और आर्थिक तंगी से त्रस्त है, उस समय रेल किराये में वृद्धि किया जाना पूरी तरह से असंवेदनशील और जनविरोधी निर्णय है। यह केंद्र सरकार की गरीब-विरोधी नीति को उजागर करता है।"
“संविधान के उद्देश्यों की अनदेखी”
बसपा प्रमुख ने यह भी कहा कि संविधान ने देश को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करने की बात कही है, जहां सरकार का मुख्य उद्देश्य जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाना होना चाहिए। मगर, उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां व्यावसायिक लाभ को प्राथमिकता देती हैं, जनकल्याण नहीं।
बसपा की मांग: किराया वृद्धि वापस ले सरकार
मायावती ने केंद्र से मांग की कि रेल किराये की इस बढ़ोतरी को तुरंत वापस लिया जाए और गरीबों, मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों और विद्यार्थियों को राहत दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार विकास की आड़ में आम जनता पर बोझ डालती रही, तो बसपा सड़क से संसद तक इसका विरोध करेगी।
विपक्षी दलों का बढ़ता दबाव
रेल किराये में वृद्धि को लेकर बसपा के अलावा कई अन्य विपक्षी दल भी केंद्र पर निशाना साध चुके हैं। कांग्रेस, राजद, सपा, और टीएमसी जैसे दलों ने भी इस फैसले को गरीब विरोधी बताया है और इसका विरोध जताया है।
रेलवे का पक्ष
वहीं रेलवे मंत्रालय का तर्क है कि किराये में बढ़ोतरी सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए आवश्यक है। मंत्रालय के अनुसार, बेहतर सेवाएं देने और ट्रेनों के आधुनिकीकरण के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, इस तर्क को विपक्षी दल झूठा और दिखावटी बता रहे हैं।