ममता का अनूठा उदाहरण, कानपुर में घायल बंदर के लिए महिला ने दिखाई इंसानियत की मिसाल

ममता एक ऐसा भाव है, जिसे न तो किसी भाषा की जरूरत होती है और न ही किसी रिश्ते की पहचान की। बस ज़रूरत होती है तो मन में करुणा और संवेदना की। इंसान और जानवर के सहअस्तित्व की कई कहानियाँ हमारे आसपास बिखरी पड़ी हैं, और इन्हीं में से एक मार्मिक उदाहरण कानपुर से सामने आया है, जहाँ एक महिला ने घायल बंदर के प्रति ऐसी ममता दिखाई, जो इंसानियत की मिसाल बन गई।
मामला शहर के एक आवासीय इलाके का है, जहाँ एक बंदर बिजली के तारों से टकराकर गंभीर रूप से घायल हो गया था। कराहते हुए वह सड़क किनारे पड़ा था, लेकिन राह चलते लोग अनदेखा करते रहे। तभी एक महिला ने उसकी हालत देखी और ममता के उस भाव को जगा दिया, जिसे शब्दों में पिरोना मुश्किल है।
महिला न केवल उस घायल बंदर के पास रुकी, बल्कि उसे अपनी गोद में उठाकर प्राथमिक उपचार भी किया। उसने आसपास के लोगों से पट्टी और दवा मंगवाई और बंदर की हालत सुधारने की हर संभव कोशिश की। इसके बाद वन विभाग और पशु चिकित्सकों को भी सूचना दी गई। कुछ ही समय में बंदर की हालत में सुधार आने लगा।
बिना किसी डर और हिचक के दिखाई संवेदना
आमतौर पर जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है, लेकिन इस महिला ने बिना किसी डर या संकोच के घायल बंदर के पास पहुंचकर यह साबित कर दिया कि ममता किसी जाति, धर्म, भाषा या प्रजाति की मोहताज नहीं होती।
स्थानीय लोगों ने की सराहना
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया, जिसमें महिला का यह मानवीय भाव देखकर हजारों लोगों ने उसकी सराहना की। स्थानीय लोगों ने भी इस कार्य को इंसानियत की मिसाल बताया।
प्रशासन ने भी लिया संज्ञान
वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घायल बंदर को उचित इलाज के लिए पशु अस्पताल भेजा। विभाग के अधिकारियों ने महिला की इस पहल को सराहनीय बताया और कहा कि अगर समाज में हर व्यक्ति इतनी संवेदना रखे, तो मानव और पशु दोनों के लिए यह धरती रहने लायक जगह बन सकती है।