मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपी बरी, आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में बड़ा फैसला सामने आया है। मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जा सके, इसलिए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ दिया गया।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जताया समर्थन
इस फैसले पर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा—
"न्यायालय के निर्णय का हम स्वागत करते हैं। न्याय में देरी हो सकती है लेकिन न्याय मिलता जरूर है।"
उन्होंने आगे कहा कि,
"इस मामले में वर्षों तक निर्दोष लोग मानसिक यातना झेलते रहे। अब जब न्याय मिला है, तो समाज को भी इससे सबक लेना चाहिए कि जल्दबाजी में किसी को दोषी ठहराना गलत है।"
राजनीतिक हलकों में मिली-जुली प्रतिक्रिया
मालेगांव विस्फोट केस लंबे समय से राजनीतिक विवाद और हिंदू आतंकवाद जैसे शब्दों को लेकर चर्चा में रहा है। कोर्ट के फैसले के बाद जहां बीजेपी नेताओं ने इसे सच्चाई की जीत बताया है, वहीं कुछ विपक्षी नेताओं ने एनआईए की जांच पर सवाल उठाए हैं।
क्या था मामला?
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29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
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इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सहित सात लोगों को आरोपी बनाया गया था।
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केस की जांच पहले महाराष्ट्र ATS और फिर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई थी।
फैसले का संभावित राजनीतिक असर
विशेष अदालत के इस फैसले के बाद आने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा राजनीतिक बहस का विषय बन सकता है। कई दल इस फैसले को लेकर जनभावनाओं को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं।

