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जालौन मेडिकल कॉलेज में बड़ी लापरवाही: पेट दर्द की शिकायत लेकर पहुंचे मरीज को बिना जरूरत के भेजा गया ऑपरेशन थिएटर

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में एक गंभीर चिकित्सीय लापरवाही सामने आई है। पेट दर्द की मामूली शिकायत लेकर पहुंचे ब्रजेश चौधरी नामक मरीज को मेडिकल स्टाफ ने बिना उचित जांच के सीधे ऑपरेशन थिएटर भेज दिया। समय रहते मरीज ने बहाना बनाकर खुद को बचा लिया, नहीं तो गलत ऑपरेशन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।  मरीज ने खुद को बचाया सूत्रों के अनुसार, ब्रजेश चौधरी को पेट में हल्के दर्द की शिकायत थी। जब वह मेडिकल कॉलेज पहुंचा, तो वहां की इमरजेंसी में मौजूद स्टाफ ने उसे जल्दबाजी में ऑपरेशन के लिए ओटी भेज दिया। ब्रजेश को कुछ संदेह हुआ और उसने बहाना बनाकर खुद को समय दिया। इसी दौरान उसने परिजनों को सूचना दी और हंगामा मच गया।  जांच में खुली पोल हंगामे के बाद वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा की गई जांच में स्पष्ट हुआ कि मरीज को ऑपरेशन की कोई आवश्यकता नहीं थी। उसकी स्थिति सामान्य थी और दवाओं से इलाज संभव था। यह जानकर परिजन आक्रोशित हो गए।  अस्पताल प्रशासन ने मानी गलती अस्पताल प्रशासन ने मामले की लापरवाही स्वीकार करते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बयान जारी कर कहा:  "यह एक गंभीर चूक है। प्रथम दृष्टया जिम्मेदार स्टाफ की पहचान की जा रही है। पूरी घटना की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।"  स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल इस घटना ने राजकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का कहना है कि अगर ब्रजेश समय पर बहाना न बनाते तो गलत सर्जरी हो सकती थी, जिसकी कीमत जान से चुकानी पड़ सकती थी।

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में एक गंभीर चिकित्सीय लापरवाही सामने आई है। पेट दर्द की मामूली शिकायत लेकर पहुंचे ब्रजेश चौधरी नामक मरीज को मेडिकल स्टाफ ने बिना उचित जांच के सीधे ऑपरेशन थिएटर भेज दिया। समय रहते मरीज ने बहाना बनाकर खुद को बचा लिया, नहीं तो गलत ऑपरेशन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

मरीज ने खुद को बचाया

सूत्रों के अनुसार, ब्रजेश चौधरी को पेट में हल्के दर्द की शिकायत थी। जब वह मेडिकल कॉलेज पहुंचा, तो वहां की इमरजेंसी में मौजूद स्टाफ ने उसे जल्दबाजी में ऑपरेशन के लिए ओटी भेज दिया। ब्रजेश को कुछ संदेह हुआ और उसने बहाना बनाकर खुद को समय दिया। इसी दौरान उसने परिजनों को सूचना दी और हंगामा मच गया।

जांच में खुली पोल

हंगामे के बाद वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा की गई जांच में स्पष्ट हुआ कि मरीज को ऑपरेशन की कोई आवश्यकता नहीं थी। उसकी स्थिति सामान्य थी और दवाओं से इलाज संभव था। यह जानकर परिजन आक्रोशित हो गए।

अस्पताल प्रशासन ने मानी गलती

अस्पताल प्रशासन ने मामले की लापरवाही स्वीकार करते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बयान जारी कर कहा:

"यह एक गंभीर चूक है। प्रथम दृष्टया जिम्मेदार स्टाफ की पहचान की जा रही है। पूरी घटना की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल

इस घटना ने राजकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का कहना है कि अगर ब्रजेश समय पर बहाना न बनाते तो गलत सर्जरी हो सकती थी, जिसकी कीमत जान से चुकानी पड़ सकती थी।

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