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राज्य कर विभाग में बड़ा प्रशासनिक बदलाव, सहायक आयुक्त स्तर के सभी 111 खंड समाप्त, अब केवल उपायुक्त स्तर के 364 खंड होंगे सक्रिय

राज्य कर विभाग में बड़ा प्रशासनिक बदलाव, सहायक आयुक्त स्तर के सभी 111 खंड समाप्त, अब केवल उपायुक्त स्तर के 364 खंड होंगे सक्रिय

राज्य कर विभाग में प्रशासनिक स्तर पर एक बड़ा और प्रभावशाली परिवर्तन किया गया है। विभाग ने अपने संगठनात्मक ढांचे में सुधार करते हुए सहायक आयुक्त स्तर के सभी 111 खंडों को समाप्त कर दिया है। अब पूरे राज्य में केवल उपायुक्त स्तर के 364 खंड ही कार्यरत रहेंगे। यह नई व्यवस्था 2 जुलाई (मंगलवार) से प्रभावी हो जाएगी।

राज्य कर विभाग के इस पुनर्गठन का उद्देश्य कार्यक्षमता बढ़ाना, प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाना और विभागीय कार्यों में पारदर्शिता लाना है। इससे विभागीय निगरानी बेहतर होगी और करदाताओं को समयबद्ध सेवाएं उपलब्ध कराना संभव हो सकेगा।

विभागीय सूत्रों के अनुसार, लंबे समय से सहायक आयुक्त स्तर पर कार्यरत खंडों की भूमिका को लेकर समीक्षा की जा रही थी। इन खंडों की संख्या और कार्यों में प्रभावशीलता की तुलना में उपायुक्त स्तर के खंडों में अधिक दक्षता और जवाबदेही देखी गई। इसी आधार पर यह निर्णय लिया गया कि अब समस्त खंड उपायुक्त स्तर के ही होंगे, ताकि जवाबदेही और कार्य निष्पादन में एकरूपता लाई जा सके।

राज्य कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक उपायुक्त को अधिक अधिकार और जिम्मेदारियां दी जाएंगी, जिससे कर संग्रह, निरीक्षण, छापेमारी और कर अपवंचन की जांच जैसी प्रक्रियाएं अधिक सुसंगत और तीव्र हो सकेंगी।

इसके साथ ही विभाग अब डिजिटल प्रणाली को और सशक्त करने की दिशा में भी काम कर रहा है। नई व्यवस्था के तहत करदाताओं की समस्याओं का समाधान एक ही स्तर पर किया जा सकेगा, जिससे फाइलों के बार-बार ऊपर-नीचे जाने की आवश्यकता नहीं होगी और निर्णय प्रक्रिया तेज होगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल विभागीय ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि करदाताओं के लिए भी फायदेमंद सिद्ध होगा। यह पुनर्गठन विभाग को एक पेशेवर और परिणामोन्मुख प्रणाली की ओर ले जाएगा।

इस फैसले को लागू करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आने वाले दिनों में खंडवार कार्यों का पुनः आवंटन किया जाएगा और आवश्यकतानुसार नई जिम्मेदारियों का बंटवारा भी किया जाएगा।

राज्य कर विभाग के इस बदलाव को कर प्रशासन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो विभागीय दक्षता और करदाताओं की संतुष्टि दोनों में सुधार की दिशा में अग्रसर है।

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