Gandhi Statue Row: फजीहत के बाद मेरठ नगर निगम ने हटाई कबाड़ से बनी बापू की मूर्ति, लेकिन फिर एक हुई गलती, मचा बवाल

मेरठ न्यूज डेस्क !! सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना के बाद मेरठ नगर निगम (एमएमसी) ने बोल्ट और लोहे की चादरों सहित स्क्रैप सामग्री से बनी महात्मा गांधी की 12 फुट ऊंची प्रतिमा को हटा दिया है। लोगों ने कहा था कि प्रतिमा का चेहरा विकृत दिखाई देता है। यह प्रतिमा लगभग 1.3 लाख रुपये के बजट के साथ एमएमसी की 'कबाड़ से जुगाड़' पहल के हिस्से के रूप में सिविल लाइंस क्षेत्र में जोन कमिश्नर कार्यालय के बाहर सात दिन पहले स्थापित की गई थी। “प्रतिमा का उद्देश्य स्थानीय प्रतिक्रिया एकत्र करना था और यह स्थायी नहीं थी। अतिरिक्त नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने कहा, "इसे पुनर्गठित किया जाएगा और अन्य स्थान पर स्थापित किया जाएगा।"
मेरठ कमिश्नरी के बाहर सेल्फी प्वाइंट पर दो अक्टूबर गांधी जयंती पर मेरठ नगर निगम ने कबाड़ से जुगाड़ से बापू का स्टैच्यू स्थापित कराया. जिसमें नट बोल्ट से उनका चेहरा बनाया गया, ठेले के ब्रेक से चश्मा और पुराने ड्रमों को काटकर स्टैच्यू का बाकी स्ट्रक्चर बनाया गया. इसे बनाने में करीब सवा लाख रुपये का खर्चा आया. यानी बात कबाड़ से जुगाड़ की हुई और सवा लाख खर्चा कर दिया. इस बात पर भी कई सवाल उठ रहे हैं.
विवाद के बाद हटाई स्टैच्यू
दो अक्टूबर के कुछ दिन बाद नगर निगम ने स्टैच्यू के चारों तरफ लाइट लगवाई तो रात के वक्त स्टैच्यू का चेहरा अजीबोगरीब लगने लगा. इस पर शहर के लोगों ने नगर में आपत्ति जतानी शुरू कर दी कि बापू का ये अपमान हो रहा है, इसे हटाया जाए. विवाद इतना बढ़ा कि मामले की गूंज लखनऊ तक भी पहुंच गई. अधिकारियों को फटकार लगाई तो इस स्टैच्यू को हटाना पड़ गया. विरोध के बाद नगर निगम को ये स्टैच्यू 7 दिन में ही हटवाना पड़ गया.
स्टैच्यू हटाते वक्त फिर कर दी गलती
मेरठ नगर निगम की मुश्किलें यहीं कम नहीं हुई, फटकार के बाद उन्होंने बापू की स्टैच्यू तो हटा दी, लेकिन फिर इस कूड़ा वाहन में ले गए, जिसके बाद एक बार फिर अधिकारियों पर उनका अपमान करने का आरोप लगा. अधिकारी इतनी जल्दबाजी में थे कि जिस ट्रैक्टर ट्रॉली को कूड़ा उठाने में इस्तेमाल किया जाता है उसी वाहन में बापू के स्टैच्यू को ले जाया गया. लोगों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है. ऐसे में अधिकारियों पर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
--आईएएनएस
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