
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार सुबह एक दर्दनाक घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। यहां एक कपड़ा व्यापारी, उसकी पत्नी और 16 वर्षीय बेटी की लाश उनके घर में संदिग्ध हालात में मिली। घटना की जानकारी मिलते ही इलाके में सनसनी फैल गई और पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गई।
घटना हजरतगंज थाना क्षेत्र के एक पॉश कॉलोनी की है, जहां कपड़ा व्यापारी शोभित रस्तोगी, उनकी पत्नी सुचिता रस्तोगी और बेटी ख्याति रस्तोगी की लाशें सोमवार सुबह उनके घर में मिलीं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि तीनों ने रविवार की रात कथित तौर पर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या की।
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें परिवार ने आर्थिक तंगी और बैंक से लिए गए भारी कर्ज का जिक्र किया है। सुसाइड नोट में लिखा है कि वे लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे थे और अब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा था। पुलिस इस नोट की सत्यता और परिस्थितियों की गंभीरता से जांच कर रही है।
आसपास के लोगों में शोक की लहर
रस्तोगी परिवार की इस सामूहिक आत्महत्या से मोहल्ले में गहरा शोक फैल गया है। पड़ोसियों के मुताबिक, शोभित रस्तोगी एक शांत स्वभाव के व्यक्ति थे और उनकी कपड़े की दुकान शहर में जानी-पहचानी थी। हालांकि, पिछले कुछ समय से उनका व्यवसाय घाटे में चल रहा था और वे मानसिक तनाव में दिखते थे।
एक पड़ोसी ने बताया, “शोभित जी बहुत मेहनती थे, लेकिन पिछले एक साल से वे तनाव में दिखते थे। दुकान पर ग्राहकी भी कम हो गई थी। हमें कभी अंदाजा नहीं था कि वे ऐसा बड़ा कदम उठा लेंगे।”
पुलिस कर रही जांच, फोरेंसिक टीम भी मौके पर
लखनऊ पुलिस कमिश्नर ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि, “हमें सुबह सूचना मिली थी कि एक परिवार के तीन लोग घर में मृत अवस्था में पाए गए हैं। प्राथमिक जांच में सुसाइड की बात सामने आ रही है, लेकिन सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। फोरेंसिक टीम को बुलाया गया है और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।”
सरकार और प्रशासन पर सवाल
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर छोटे व्यापारियों की स्थिति और आर्थिक समस्याओं को उजागर कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब छोटे व्यापारियों को सहारा देने की जरूरत थी, तब उन्हें अकेला छोड़ दिया गया।
इस पूरे मामले ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे समाज और सिस्टम में संकट से जूझते परिवारों के लिए कोई ठोस सहारा मौजूद है