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 लक्कड़ शाह बाबा की मजार पर नहीं लगेगा मेला, 16 सदी से चल रही परंपरा थमी, गुरु नानक से जुड़ी है कहानी

 लक्कड़ शाह बाबा की मजार पर नहीं लगेगा मेला, 16 सदी से चल रही परंपरा थमी, गुरु नानक से जुड़ी है कहानी

बिछिया-मिहींपुरवा मुख्य मार्ग से 500 मीटर दूर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के मुर्तिहा रेंज जंगल में लक्कड़ शाह बाबा की दरगाह पर जेठ के महीने में मेला लगने की परंपरा 16वीं शताब्दी से चली आ रही है। इस बार वन विभाग ने सालाना उर्स के दौरान इस मेले पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। बाबा लक्कड़ शाह की दरगाह जाने वाले दोनों मार्गों पर बिछिया, निशानगाड़ा और मोतीपुर वन बैरियर पर जायरीनों को रोक दिया गया। मेले पर रोक के चलते लखीमपुर खीरी के गाजीपुर गांव निवासी संजय पासवान अपने पूरे परिवार के साथ अपने बेटे गोलू का मुंडन कराने दरगाह जा रहे थे। उन्हें निशानगाड़ा वन बैरियर पर रोक दिया गया, जिससे लोग निराश हैं। वहीं लक्कड़ शाह मजार के मुख्य मार्ग पर वन विभाग, पुलिस और पीएसी की टीमें तैनात हैं, जो हिंदू मुस्लिम समुदाय के जायरीनों को रोक रही हैं। दरगाह के मुख्य मार्ग पर बैठे श्रावस्ती जिले के भिनगा निवासी बशीर अहमद, बहराइच निवासी मोहम्मद रिजवान, कुशीनगर निवासी नूर मोहम्मद, नेपाल निवासी मुन्नी शबरी, लखीमपुर खीरी के रामशंकरपुर निवासी रामलखन ने बताया कि उन्हें जियारत करने और मत्था टेकने की अनुमति मिल गई है।

क्या कहते हैं रेंजर?

पूछे जाने पर रेंजर रत्नेश यादव ने बताया कि किसी भी तरह के वाहनों को प्रवेश करने से रोका जा रहा है। पैदल जियारत करने वाले श्रद्धालुओं पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही है।

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