झांसी में प्राइवेट बैंक की शर्मनाक हरकत: लोन की किस्त नहीं चुकाई तो महिला को बनाया बंधक, पुलिस ने छुड़ाया
त्तर प्रदेश के झांसी जनपद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने निजी बैंकों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मोंठ थाना क्षेत्र में एक प्राइवेट समूह लोन की किस्त नहीं चुकाने पर बैंक कर्मचारियों द्वारा एक महिला को कथित रूप से घंटों तक बंधक बनाकर बैंक में बैठाए रखने का आरोप लगा है।
घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब पीड़ित महिला के पति ने डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और महिला को मुक्त कराया। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया और लोगों ने बैंक कर्मचारियों की इस गैरकानूनी हरकत की निंदा की।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मोंठ थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला ने एक प्राइवेट बैंक से समूह लोन लिया था। किसी कारणवश वह लोन की निर्धारित किस्त समय पर नहीं चुका सकी। इस पर बैंक के कर्मचारी उसे बात करने के बहाने से बैंक शाखा में बुलाकर घंटों तक वहीं बैठाए रखे और कथित रूप से उसे धमकाते रहे कि जब तक पैसा नहीं देती, वह बाहर नहीं जा सकती।
महिला ने जब घर नहीं लौटी तो उसके पति को चिंता हुई। उन्होंने इधर-उधर पूछताछ की और अंत में डायल 112 पर फोन कर पुलिस से मदद मांगी। पुलिस तुरंत हरकत में आई और बैंक पहुंचकर महिला को वहां से बाहर निकाला। पुलिस ने बैंक कर्मचारियों से पूछताछ की और मामले की जानकारी ली।
महिला का आरोप
मुक्त कराई गई महिला का आरोप है कि बैंक के कर्मचारियों ने उससे दुर्व्यवहार किया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने उसे धमकी दी कि अगर वह समय पर पैसा नहीं दे पाई तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और सामाजिक रूप से बदनाम किया जाएगा।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने बैंक कर्मचारियों को सख्त चेतावनी दी है और कहा है कि किसी भी वित्तीय संस्था को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। मोंठ थाना पुलिस का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और महिला की तहरीर मिलने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।
प्रशासन और बैंकिंग नियमन पर सवाल
यह घटना ना केवल बैंक की गैरकानूनी हरकत को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह कुछ निजी वित्तीय संस्थाएं गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही हैं। ऐसे में आरबीआई और जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है कि ऐसे मामलों पर अब तक कोई सख्त नियंत्रण क्यों नहीं लगाया गया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है। उन्होंने मांग की है कि ऐसे बैंकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह की प्रताड़ना न झेलनी पड़े।फिलहाल, पुलिस की जांच जारी है और प्रशासन से भी रिपोर्ट मांगी गई है। इस पूरे मामले ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि क्या वसूली के नाम पर अब भी आम जनता को प्रताड़ित किया जाना जारी रहेगा, और क्या ऐसे मामलों पर कोई ठोस नीति बनेगी?

