राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और धर्मांतरण के आरोपी जमालुद्दीन के गैंग का खुलासा, तहसील-कचहरी तक थी गहरी पैठ
राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और अवैध धर्मांतरण के आरोपों में गिरफ्तार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच में पता चला है कि जमालुद्दीन केवल अकेले काम नहीं करता था, बल्कि उसके साथ 18 सदस्यों का एक संगठित गैंग सक्रिय था। यह गिरोह न केवल अवैध गतिविधियों में लिप्त था, बल्कि सरकारी तंत्र में भी गहरी पैठ बना चुका था।
सूत्रों के अनुसार, जमालुद्दीन की पकड़ तहसील और न्यायालयों तक थी। उतरौला तहसील में कुछ कर्मचारियों से मिलीभगत कर उसने एक सरकारी तालाब को अपने नाम करा लिया। यह कार्यवाही दस्तावेजी हेरफेर और पद के दुरुपयोग से अंजाम दी गई। इस मामले में तहसील कर्मियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है।
जांच में यह भी सामने आया है कि जमालुद्दीन ने पुणे में करीब 16 करोड़ रुपये की जमीन खरीदी थी। इस भूमि का एग्रीमेंट करवाकर उसने बड़ा मुनाफा कमाने की योजना बनाई थी। हैरानी की बात यह है कि इस संपत्ति में उसने न्यायिक तंत्र से जुड़े एक व्यक्ति की पत्नी को हिस्सेदार बनाया। यह महिला कोई और नहीं, बल्कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) के लिपिक की पत्नी बताई जा रही है। इससे मामले की गंभीरता और भी बढ़ गई है कि आरोपी ने किस हद तक न्याय व्यवस्था के भीतर अपने संपर्क बनाए हुए थे।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जमालुद्दीन का नेटवर्क केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं था, बल्कि अन्य जिलों और राज्यों में भी उसकी गतिविधियों के संकेत मिले हैं। विशेष रूप से धर्मांतरण के मामले में, वह सुनियोजित तरीके से कमजोर और गरीब तबकों को निशाना बनाता था।
जांच एजेंसियों ने अब उसके गैंग के अन्य 18 सदस्यों की तलाश तेज कर दी है। इनमें से कुछ के नाम सामने आ चुके हैं और कुछ पर निगरानी रखी जा रही है। एसटीएफ और एटीएस की टीमें इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छापेमारी कर रही हैं।
पुलिस और प्रशासन का कहना है कि यह मामला न केवल अवैध धर्मांतरण का है, बल्कि यह पूरी व्यवस्था को प्रभावित करने की साजिश का हिस्सा है। तहसील और न्यायिक कार्यालयों में प्रभाव जमाकर सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करना और अवैध संपत्ति अर्जित करना गंभीर अपराध है।
फिलहाल जमालुद्दीन न्यायिक हिरासत में है और उससे लगातार पूछताछ की जा रही है। जल्द ही उसकी पूरी संपत्ति का विवरण तैयार कर प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य एजेंसियों को सौंपा जाएगा। प्रशासन इस मामले को राज्य और केंद्र सरकार के स्तर तक ले जाकर कठोर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

