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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन की मुलाकात, यूपी के लिए अलग उपग्रह और रिमोट सेंसिंग पर हुई चर्चा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन की मुलाकात, यूपी के लिए अलग उपग्रह और रिमोट सेंसिंग पर हुई चर्चा

उत्तर प्रदेश की प्रगति को अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एवं भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन ने सोमवार को लखनऊ में शिष्टाचार भेंट की।

इस अहम मुलाकात के दौरान राज्य के लिए अलग उपग्रह (डेडिकेटेड सैटेलाइट) की संभावनाओं पर चर्चा की गई। इसके अलावा रिमोट सेंसिंग तकनीक के जरिए विकास, कृषि, जल प्रबंधन, शहरी नियोजन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं भी तलाशी गईं।

उत्तर प्रदेश के लिए समर्पित उपग्रह की पहल

बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य की भौगोलिक और जनसंख्या संबंधी विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए एक राज्य-विशेष उपग्रह की आवश्यकता पर जोर दिया। ऐसा उपग्रह कृषि निगरानी, बाढ़ पूर्वानुमान, जल संसाधनों के प्रबंधन, भूमि उपयोग डेटा संग्रहण सहित अनेक योजनाओं में सहायता करेगा। इसरो अध्यक्ष ने इस विषय पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए राज्य सरकार को तकनीकी सहयोग का आश्वासन दिया।

रिमोट सेंसिंग तकनीक से होगा विकास में तेजी

इस बैठक में रिमोट सेंसिंग और जियोस्पेशियल डेटा के जरिए गांवों, शहरों, नदियों, वन क्षेत्रों और सिंचाई परियोजनाओं की निगरानी और योजना तैयार करने के तरीकों पर भी चर्चा हुई। यह तकनीक न केवल तेजी से निर्णय लेने में मदद करेगी, बल्कि पारदर्शिता और प्रभावशीलता भी बढ़ाएगी।

मुख्यमंत्री का विजन: विज्ञान से समृद्धि

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है। अब उत्तर प्रदेश भी इस तकनीकी क्रांति का हिस्सा बनकर गांव से लेकर शहर तक तकनीक आधारित विकास का मॉडल प्रस्तुत करेगा।” उन्होंने कहा कि इसरो का अनुभव और विशेषज्ञता राज्य के विकास की गति को और अधिक बढ़ाएंगे।

इसरो अध्यक्ष का भरोसा

इसरो प्रमुख डॉ. नारायणन ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में हो रहे कार्यों की सराहना की और कहा कि इसरो हर संभव तकनीकी सहयोग देने को तैयार है। उन्होंने बताया कि उपग्रह आधारित डेटा का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

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