ईरान संकट से परेशान दिखीं शहर की ईरानी बहू, माता-पिता की सलामती के लिए दिन-रात दुआ में मशगूल

ईरान में जारी तनाव और युद्ध जैसे हालातों ने जहां वैश्विक चिंता बढ़ा दी है, वहीं भारत में रहने वाले ईरानी मूल के लोगों के लिए यह संकट बेहद निजी और भावनात्मक हो गया है। शहर में रहने वाली ईरानी मूल की बहू फायजा भी इन्हीं हालात से बेहद परेशान हैं। ईरान में रह रहे अपने माता-पिता की सलामती को लेकर उनकी रातों की नींद और दिन का चैन सब कुछ उड़ चुका है।
फायजा की शादी कुछ साल पहले भारत के एक मुस्लिम युवक से हुई थी और तब से वे अपने ससुराल में रह रही हैं। लेकिन हाल के दिनों में जब से ईरान में अशांति और युद्ध जैसे हालात बने हैं, तभी से वे बेहद तनाव में हैं। परिजनों से संपर्क लगातार बना हुआ है, लेकिन हर गुज़रते दिन के साथ उनकी चिंता और गहरा रही है।
उन्होंने बताया कि "मां-बाबा की आवाज सुनकर दिल को थोड़ा सुकून मिलता है, लेकिन जब फोन कटता है तो फिर वही बेचैनी लौट आती है।" फायजा दिन भर समाचार चैनलों, सोशल मीडिया और ईरानी मीडिया की वेबसाइट्स पर नजरें टिकाए रहती हैं, ताकि ईरान की स्थिति की पल-पल की जानकारी मिलती रहे।
उनके अनुसार, ईरान के कई हिस्सों में हालात बिगड़ चुके हैं, बाजार बंद हैं, कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हैं और लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। इस बीच अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए हजारों किलोमीटर दूर बैठकर कुछ न कर पाने की मजबूरी उन्हें भीतर तक तोड़ रही है।
फायजा कहती हैं कि इन हालात में हर पल एक ही दुआ जुबान पर रहती है — "या अल्लाह, हमारे मुल्क को अमन अता फरमा, मेरे वालिदैन को हिफाजत में रख।" यह दुआ अब उनका रोज़ का हिस्सा बन चुकी है। वे भारत में रहकर भी पूरी तरह से ईरान के हालात में डूबी हुई हैं।
स्थानीय समुदाय भी उनके इस दुख और चिंता को समझ रहा है। मोहल्ले की कुछ महिलाएं रोज़ उनके साथ बैठकर उनका मन हल्का करने की कोशिश करती हैं और हिम्मत बंधाती हैं।
यह कहानी केवल फायजा की नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों-हज़ारों प्रवासी ईरानी नागरिकों और उनके परिवारों की है जो इन तनावपूर्ण हालातों में अपने देश की सलामती की दुआ कर रहे हैं। ऐसे समय में यह ज़रूरी हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर ईरान में शांति स्थापना के प्रयासों को बल दे, ताकि लाखों परिवारों की बेचैनी को राहत मिल सके।