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पेट से निकाल डाली आंतें, अधजली छोड़ी लाश...... 23 साल पहले हुई us हैवानियत की दास्तां सुन कांप उठेगी रूह

पेट से निकाल डाली आंतें, अधजली छोड़ी लाश...... 23 साल पहले हुई us हैवानियत की दास्तां सुन कांप उठेगी रूह

भारती यादव नाम की एक साधारण लड़की। भारती एक प्रभावशाली और ताकतवर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती थी। भारती के जीवन में ऐशो-आराम की कोई कमी नहीं थी। महंगे गहने, फाइव स्टार होटलों में पार्टी और लग्जरी कारें, ये सब उसके लिए आम बात थी। लेकिन उसका दिल सादगी में बसता था। उसे नीतीश कटारा नाम का लड़का पसंद था, जो एक मध्यमवर्गीय परिवार से था। नीतीश का परिवार साधारण था, लेकिन प्यार और स्नेह उस परिवार की ताकत थे। भारती को नीतीश का सादा जीवन बहुत पसंद था। वह अक्सर कहती, 'आपका परिवार बहुत प्यारा है, मुझे यह सादगी बहुत पसंद है।' हर खास मौके पर, चाहे वह नया साल हो या जन्मदिन, भारती नीतीश के लिए फूलों के महंगे गुलदस्ते और कीमती तोहफे भेजती। लेकिन एक बात उसे हमेशा परेशान करती थी, उसके पिता कभी अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिताते थे। दूसरी तरफ, नीतीश का परिवार वीकेंड पर साथ खाना खाता, छुट्टियां मनाता। यह सब देखकर भारती का दिल नीतीश के और करीब आ जाता। 

1998: कहानी शुरू होती है
1998 में नीतीश ने IMT गाजियाबाद में MBA में एडमिशन लिया। यहीं पर उसकी मुलाकात भारती से हुई। भारती उस समय राज्यसभा सांसद रहे डीपी यादव की बेटी थीं और इलाके में उनका काफी दबदबा था। नीतीश और भारती की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। 2000 में कोर्स पूरा करने के बाद नीतीश को दिल्ली में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस में नौकरी मिल गई। जनवरी 2001 तक नीतीश और भारती का प्यार गहरा हो चुका था। लेकिन भारती के परिवार, खासकर उसके भाई विकास और चचेरे भाई विशाल को यह रिश्ता मंजूर नहीं था।

नीतीश की मां को बताया
दिसंबर 2001 में नीतीश ने अपनी मां नीलम कटारा को अपनी भावनाओं के बारे में बताया। उसने बताया कि वह और भारती एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं। मां ने चिंता जताई, 'लड़की बड़े घर की है। हमारा साधारण परिवार उसे कैसे स्वीकार करेगा? उसके तोहफे इतने महंगे हैं कि आपकी सैलरी भी कम पड़ जाएगी।' नीतीश ने मां को भरोसा दिलाया कि भारती उनके परिवार में खुश रहेगी। उसने बताया कि मार्च में चुनाव होने हैं और भारती का भाई चुनाव लड़ेगा। जीत के बाद परिवार का मूड ठीक रहेगा, तब भारती अपने परिवार से अपने रिश्ते के बारे में बात करेगी।

जब भारती की सहेली की शादी हो रही थी...
16 फरवरी 2002 को भारती की बचपन की सहेली शिवानी गौर की शादी हो रही थी। नीतीश और भारती दोनों वहां पहुंचे। दोनों ने साथ में डांस किया, फोटो खिंचवाई, लेकिन रात करीब 12:30 बजे नीतीश को आखिरी बार विकास, विशाल और सुखदेव यादव के साथ टाटा सफारी कार में देखा गया। इसके बाद नीतीश गायब हो गया।

सड़क पर जली हुई लाश मिली
अगली सुबह 17 फरवरी 2002 को खुर्जा के पास शिखरपुर रोड पर एक जली हुई लाश मिली। यह जगह शादी स्थल से 80 किलोमीटर दूर थी। शव को इतनी बर्बरता से मारा गया था कि उसकी आंतें बाहर आ गई थीं। यह नीतीश कटारा की लाश थी। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

मां ने हार नहीं मानी
नीलम कटारा ने अपने बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई शुरू की। 30 मई 2008 को दिल्ली की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने विकास और विशाल को हत्या और अपहरण का दोषी पाया। दोनों को उम्रकैद और 1.6 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। लेकिन विकास को बार-बार जमानत मिलती रही, बताया जाता है कि दोनों भाइयों को दो साल में 66 बार जमानत मिली। इस पर नीलम ने सवाल उठाए।

25 साल की उम्रकैद
2 अप्रैल 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा। 6 फरवरी 2015 को विकास और विशाल को 30 साल की सजा सुनाई गई। 3 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सजा बढ़ाकर 25 साल कर दी, जिसमें हत्या और सबूत मिटाने की सजा एक साथ चलेगी। तीसरे दोषी सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा मिली।

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