इंदौर की सोनम रघुवंशी का दशाश्वमेध घाट पर पिंडदान, हनीमून पर पति की हत्या के आरोप में फंसी है महिला

हनीमून के दौरान अपने पति की हत्या के आरोप में सुर्खियों में आई इंदौर निवासी सोनम रघुवंशी को लेकर एक अनोखी और चर्चा में रही धार्मिक क्रिया बुधवार को देखने को मिली। कुछ महिलाएं वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर पहुंचीं और वहां मौजूद पुरोहितों से मिलकर सोनम रघुवंशी का विधि-विधान से पिंडदान किया।
यह धार्मिक क्रिया आमतौर पर मृत आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए की जाती है, लेकिन इस बार मामला उल्टा था। सोनम अभी जीवित है, लेकिन उन महिलाओं ने इसे "सामाजिक और नैतिक मृत्यु" का प्रतीक मानते हुए यह कदम उठाया।
क्या है पूरा मामला?
सोनम रघुवंशी पर आरोप है कि उसने अपने पति की हनीमून के दौरान रहस्यमयी परिस्थितियों में हत्या कर दी। यह मामला राष्ट्रीय मीडिया में काफी चर्चित रहा और जांच एजेंसियों ने भी गंभीरता से इसकी जांच शुरू की है। हत्या के पीछे की साजिश, षड्यंत्र और आर्थिक कारणों की भी जांच हो रही है।
महिलाओं की ओर से उठाया गया प्रतीकात्मक कदम
दशाश्वमेध घाट पर पहुंची महिलाओं ने कहा कि सोनम जैसे लोग सिर्फ किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज की भी हत्या करते हैं। इसलिए उन्होंने यह पिंडदान एक "जागृति अभियान" के तौर पर किया है, ताकि लोग ऐसे अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएं और यह संदेश जाए कि समाज ऐसे कृत्यों को स्वीकार नहीं करता।
पुरोहितों ने विधि-विधान से किया कर्मकांड
दशाश्वमेध घाट पर मौजूद वरिष्ठ पुरोहितों ने इस विशेष पिंडदान को विधिवत कराया। मंत्रोच्चार और धार्मिक विधियों के साथ यह कर्मकांड किया गया, जिसमें मृत आत्मा की शांति के स्थान पर "पापकर्म से मुक्त समाज की स्थापना" का संकल्प लिया गया।
जनमानस में मिला-जुला प्रतिक्रिया
इस पिंडदान को लेकर घाट पर मौजूद आम श्रद्धालुओं में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे समाजिक चेतना का प्रतीक बताया, तो कुछ ने इसे अंधविश्वास और धर्म की मर्यादाओं से खिलवाड़ माना। हालांकि, अधिकांश लोगों ने माना कि अपराध के खिलाफ ऐसी प्रतीकात्मक कार्रवाइयों की मजबूत सामाजिक संदेश देने में अहम भूमिका होती है।