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भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए वैश्विक मानकों का प्रोटोकॉल तैयार किया, IIT कानपुर की अहम भूमिका

भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए वैश्विक मानकों का प्रोटोकॉल तैयार किया, IIT कानपुर की अहम भूमिका

भारत अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अधिक जवाबदेह और जिम्मेदार बनाने के लिए वैश्विक मानकों की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। AI Responsible और AI Sustainable के लिए एक नया प्रोटोकॉल तैयार किया गया है, जिसमें भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और IIT कानपुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह जानकारी भारतीय मानक ब्यूरो की उप महानिदेशक रीना गर्ग ने गुरुवार को IIT कानपुर में मीडिया से साझा की।

भारत की पहल: AI के लिए वैश्विक मानक

भारत, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सतत विकास और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक मानकों की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। AI Responsible और AI Sustainable के तहत, इन मानकों के माध्यम से भारत ने एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार किया है, जो AI तकनीक के उपयोग को सुरक्षित, न्यायपूर्ण और पारदर्शी बनाएगा। इसके तहत AI के विकास, उपयोग और संचालन में जवाबदेही और सततता को प्रमुखता दी जाएगी।

IIT कानपुर की भूमिका

IIT कानपुर ने इस पहल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। IIT के शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने मिलकर इस प्रोटोकॉल को विकसित किया है, जो AI सिस्टम के संचालन में सुरक्षा, पारदर्शिता और इथिक्स के पहलुओं को संबोधित करता है। रीना गर्ग ने इस बारे में बताते हुए कहा कि "भारत के इस प्रोटोकॉल में AI के संचालन में सुरक्षा, गोपनीयता और सस्टेनेबिलिटी पर जोर दिया गया है। यह भविष्य में AI सिस्टम के वैश्विक नियमों को निर्धारित करने में सहायक होगा।"

AI के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता

रीना गर्ग ने यह भी कहा कि इस प्रोटोकॉल को वैश्विक स्तर पर सहयोग और समझौते की आवश्यकता है। क्योंकि AI एक वैश्विक प्रौद्योगिकी है, इसके नियमों और मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता प्राप्त करनी चाहिए। भारत इस दिशा में पहल कर रहा है ताकि AI के भविष्य में आ रहे बदलावों को सही दिशा मिल सके और किसी भी प्रकार की अनियमितताओं से बचा जा सके।

भारत का उद्देश्य

भारत का उद्देश्य है कि AI का विकास और उपयोग समाज के हित में हो और इससे किसी भी प्रकार का नुकसान न हो। प्रोटोकॉल में AI के प्रयोग से जुड़े खतरे और चुनौतियों को भी ध्यान में रखा गया है, और यह सुनिश्चित किया गया है कि AI का उपयोग मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के खिलाफ न हो।

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