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ईरान-इजरायल तनाव पर भारत ने अपनाई संतुलित नीति, एसपी नेता का भड़काऊ बयान बना चर्चा का विषय

ईरान-इजरायल तनाव पर भारत ने अपनाई संतुलित नीति, एसपी नेता का भड़काऊ बयान बना चर्चा का विषय

मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता सैन्य तनाव अब एक गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। दुनिया भर की नज़रें इस संघर्ष पर टिकी हैं, और प्रमुख वैश्विक शक्तियां इसमें अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर रही हैं। अमेरिका जहां खुलकर इजरायल के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है, वहीं भारत ने एक संतुलित रुख अपनाते हुए संयम और शांति की अपील की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने हालिया घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत सभी पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक माध्यमों से समस्या के समाधान की अपील करता है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “हम दोनों देशों से आग्रह करते हैं कि वे तत्काल युद्धविराम करें और शांति के मार्ग पर लौटें। मध्य पूर्व में स्थिरता भारत सहित पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है।”

इस बीच, भारत में राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे को लेकर बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। विपक्षी दलों के कुछ नेता जहां खुले तौर पर ईरान के समर्थन में सामने आ रहे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी (एसपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन का बयान खासा विवादों में आ गया है। उन्होंने इजरायल को “अमेरिका का पालतू जानवर” कहकर न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर तीखी टिप्पणी की, बल्कि भारत के कूटनीतिक संतुलन को भी चुनौती दी है।

एसटी हसन ने मीडिया से बातचीत में कहा, “इजरायल की अपनी कोई नीति नहीं होती। वह अमेरिका के इशारे पर नाचता है। यह युद्ध सिर्फ सत्ता और वर्चस्व के लिए है, जिसमें निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं।”
उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए कहा है कि ऐसे वक्त में जब देश को एकजुटता की जरूरत है, कुछ नेता राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “भारत ने हमेशा वैश्विक संघर्षों में शांति और संयम की नीति अपनाई है। ऐसे वक्त में जब पूरा विश्व युद्ध से चिंतित है, एक पूर्व सांसद द्वारा इस तरह की भाषा का प्रयोग निंदनीय है। यह न तो भारत की विदेश नीति का हिस्सा है और न ही देश की सभ्य राजनीतिक परंपरा का।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत की विदेश नीति में पिछले कुछ वर्षों से संतुलन और तटस्थता की प्रवृत्ति रही है, खासकर उन मामलों में जो भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों से सीधे नहीं जुड़े होते। इस नीति का उद्देश्य भारत को एक विश्वसनीय मध्यस्थ और जिम्मेदार शक्ति के रूप में स्थापित करना है।

फिलहाल, इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष का क्या अंजाम होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन भारत की कोशिश स्पष्ट है—शांति, स्थिरता और संतुलन बनाए रखना। वहीं, देश के भीतर ऐसे संवेदनशील विषयों पर बयानबाज़ी से राजनीतिक और कूटनीतिक विवादों की आशंका और बढ़ गई है।

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