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जाटों के इस गांव में हर तीसरे घर से निकला है फौजी, बॉर्डर पर तैनात है एक हजार से ज्यादा युवा

जाटों के इस गांव में हर तीसरे घर से निकला है फौजी, बॉर्डर पर तैनात है एक हजार से ज्यादा युवा

'ढिकोली, सैनिकों का गांव'। यदि आप बागपत से चमरावल रोड पर 14 किमी. चलें तो आपको यही संदेश लिखा एक बोर्ड दिखाई देगा। यह बोर्ड ऐसे ही स्थापित नहीं किया गया है। इस गांव के करीब एक हजार युवा सेना और अर्धसैनिक बलों में भर्ती होकर देश की रक्षा कर रहे हैं। इस समय भी सीमा पर तैनात अधिकतर सैनिक यहीं से हैं। ये युवा मेजर, कर्नल, लेफ्टिनेंट, ब्रिगेडियर समेत सभी पदों पर तैनात हैं।

20 हजार की आबादी वाले जाट बहुल गांव ढिकौली के युवाओं के दिलों में बचपन से ही देश की सुरक्षा और सेवा का जज्बा दिखाई देता है। इसका कारण यह है कि अधिकांश परिवारों का कोई न कोई सदस्य सेना में रहकर देश की रक्षा कर रहा है। उन्हें देखकर बच्चों में सेना में शामिल होने का जुनून पैदा होता है।

यह सिलसिला इस तरह शुरू हुआ कि समय के साथ जुनून बढ़ता गया। वर्तमान में सीमा पर तैनात सैनिकों के परिवारों का कहना है कि उन्हें अपने बेटों पर गर्व है जो उनके घरों में घुसकर देश में कायराना हरकत करने वाले आतंकवादियों को मार गिराते हैं। इस तरह बेटे देश की सीमा पर डटकर खड़े रहेंगे और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देंगे।

ऐसे पदों पर रहकर देश की सेवा करना
ढिकोली गांव के कमांडर सुनील ढाका, कर्नल अनिल ढाका, पुष्पेंद्र ढाका, अजीत सिंह, अमित ढाका, मेजर कुलदीप, बॉबी ढाका, सूबेदार अनिल ढाका, लेफ्टिनेंट महिपाल ढाका समेत कई अन्य लोग महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं।

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