गोरखपुर में ट्रेनी महिला सिपाहियों का हंगामा, ट्रेनिंग सेंटर की अव्यवस्थाओं के खिलाफ सड़क पर उतरीं 600 सिपाही
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में बुधवार को एक अभूतपूर्व दृश्य सामने आया, जब सैकड़ों ट्रेनी महिला सिपाहियों ने ट्रेनिंग सेंटर की बदहाल व्यवस्था के खिलाफ सड़क पर उतरकर जमकर हंगामा किया। महिला सिपाहियों ने ट्रेनिंग सेंटर के भीतर व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें खराब पानी, पर्याप्त भोजन की कमी, नहाने की व्यवस्था ना होना और जरूरत से ज्यादा संख्या में प्रशिक्षणार्थियों को ठूंस-ठूंस कर रखने जैसी समस्याएं प्रमुख रहीं।
करीब 600 ट्रेनी महिला सिपाहियों ने एकजुट होकर ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलकर सड़क पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनकी आंखों में आंसू थे और आवाज में गुस्सा। उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए ट्रेनिंग सेंटर की लापरवाहियों को उजागर किया। महिला सिपाहियों का कहना है कि जिस भवन में केवल 360 लोगों के रहने की क्षमता है, वहां जबरन 600 से अधिक प्रशिक्षणार्थियों को रखा गया है। इसके कारण उन्हें ना तो ठीक से सोने की जगह मिल रही है और ना ही जरूरी सुविधाएं।
प्रदर्शन कर रहीं एक महिला सिपाही ने कहा, "हमसे दिन-रात मेहनत कराई जाती है, लेकिन पीने का पानी तक साफ नहीं है। बाथरूम की हालत बदतर है और खाने में पोषण तो दूर, कभी-कभी भोजन पूरा भी नहीं मिलता। हमसे उम्मीद की जाती है कि हम प्रदेश की सेवा करें, लेकिन खुद हमारे लिए न्यूनतम सुविधाएं भी नहीं हैं।"
महिला सिपाहियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन को कई बार समस्याओं से अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूर होकर उन्होंने सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराया। कुछ सिपाहियों ने यह भी आरोप लगाया कि उच्चाधिकारी उनकी बातों को नजरअंदाज करते हैं और शिकायत करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी जाती है।
प्रदर्शन के बाद मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पहुंचे और महिला सिपाहियों को समझाने की कोशिश की। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी सिपाहियों को आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा और ट्रेनिंग सेंटर की सुविधाओं की समीक्षा की जाएगी।
इस घटनाक्रम ने पुलिस प्रशिक्षण व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस विभाग से अनुशासन और सेवा की अपेक्षा की जाती है, उसकी नींव ही यदि अव्यवस्था और उपेक्षा पर टिकेगी तो उसका दूरगामी प्रभाव पूरे सिस्टम पर पड़ेगा।
फिलहाल महिला सिपाहियों का प्रदर्शन प्रशासन के आश्वासन के बाद समाप्त हो गया है, लेकिन यह मामला केवल एक ट्रेनिंग सेंटर का नहीं, बल्कि पूरे राज्य में पुलिस प्रशिक्षण की स्थिति पर पुनः विचार करने की ज़रूरत की ओर इशारा करता है।

