अवैध धर्मांतरण मामला: मास्टरमाइंड छांगुर के करीबी न्यायालय कर्मी की गिरफ्तारी के बाद एटीएस अलर्ट, पूर्वांचल से कनेक्शन की पड़ताल
उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के नेटवर्क का दायरा दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। इस सिलसिले में अब एक और बड़ा नाम सामने आया है। बलरामपुर जनपद न्यायालय के बाबू राजेश उपाध्याय की गिरफ्तारी ने पूरे तंत्र को चौंका दिया है। बताया जा रहा है कि राजेश, अवैध धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड छांगुर का बेहद करीबी रहा है।
राजेश उपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद एटीएस (Anti-Terrorism Squad) पूरी तरह अलर्ट हो गई है और उसकी गतिविधियों की गहन जांच में जुट गई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि वह लगभग 30 साल पहले भदऊ चुंगी इलाके में एक वैद्यजी के यहां रहा करता था। उस समय भी उसकी गतिविधियां संदिग्ध रही थीं, लेकिन अब उसका नाम इस बड़े नेटवर्क से जुड़ने के बाद खुफिया एजेंसियों की विशेष नजर में आ गया है।
सूत्रों के अनुसार, एटीएस अब राजेश के संपर्कों, पुराने ठिकानों और लेन-देन के रूट को खंगाल रही है। उसका मोबाइल डेटा, सोशल मीडिया गतिविधियां और कॉल डिटेल्स की बारीकी से जांच की जा रही है। एजेंसी यह जानने की कोशिश कर रही है कि राजेश किन-किन लोगों के संपर्क में था और छांगुर के साथ उसका वास्तविक संबंध कितना गहरा था।
इस मामले में अब काशी (वाराणसी) और पूर्वांचल के अन्य जिलों से कनेक्शन की भी पड़ताल शुरू कर दी गई है। एटीएस को शक है कि धर्मांतरण का यह नेटवर्क सिर्फ बलरामपुर और आसपास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका फैलाव वाराणसी, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और अन्य जिलों तक हो सकता है।
धार्मिक संगठनों और कुछ स्थानीय समूहों की शिकायतों के बाद सरकार ने इस प्रकरण को अत्यंत संवेदनशील माना है। जांच एजेंसियां इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान से जुड़े विषय के तौर पर देख रही हैं। राजेश उपाध्याय के न्यायालय से जुड़े होने के कारण यह मामला और भी गंभीर हो गया है, क्योंकि इससे सरकारी तंत्र के भीतर भी नेटवर्क की आशंका जताई जा रही है।
बलरामपुर पुलिस और एटीएस की संयुक्त टीम अब उसके पुराने परिचितों और सहकर्मियों से पूछताछ कर रही है। कई लोगों को हिरासत में लेकर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। जल्द ही इस नेटवर्क से जुड़े और नामों का खुलासा होने की संभावना जताई जा रही है।
फिलहाल, एटीएस राजेश उपाध्याय से विस्तृत पूछताछ कर रही है और राज्य स्तर पर अलर्ट जारी कर दिया गया है। इस प्रकरण ने एक बार फिर से अवैध धर्मांतरण के खिलाफ चल रही मुहिम को तेज कर

