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अगर आप भी अयोध्या में राम मंदिर के आसपास बनवा रहे घर तो हो जाएं सावधान, आई बड़ी खबर

अयोध्या में स्थित राम मंदिर के आसपास अब ऊंची इमारतें नहीं बन सकेंगी। अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने मास्टर प्लान-2031 के तहत यह सख्त कदम उठाया है, जिससे पवित्र स्थल की आध्यात्मिक गरिमा, दृश्य सौंदर्य और सांस्कृतिक महत्व को बनाए....
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अयोध्या में स्थित राम मंदिर के आसपास अब ऊंची इमारतें नहीं बन सकेंगी। अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने मास्टर प्लान-2031 के तहत यह सख्त कदम उठाया है, जिससे पवित्र स्थल की आध्यात्मिक गरिमा, दृश्य सौंदर्य और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखा जा सके। 22 जनवरी 2024 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तब से ही मंदिर के आसपास के क्षेत्र में विशेष निगरानी और विकास योजनाएं तेज़ की गई हैं।

राम मंदिर क्षेत्र घोषित हुआ प्रतिबंधित क्षेत्र

अयोध्या विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि राम मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि मंदिर के निकट नई ऊंची इमारतों का निर्माण अब प्रतिबंधित होगा। ADA ने इस संबंध में शहर के प्रमुख इलाकों में नोटिस बोर्ड लगाना शुरू कर दिया है, जिनमें स्पष्ट रूप से नए नियम और चेतावनियां अंकित हैं। इन चेतावनियों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करते हुए अनाधिकृत निर्माण करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मकानों की ऊंचाई तय: 2 किलोमीटर में 7 मीटर, 4 किलोमीटर में 15 मीटर

अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अश्विनी पांडेय ने बताया कि राम मंदिर के चारों ओर दो परिधियों (zones) में निर्माण की ऊंचाई की सीमा तय कर दी गई है।

  • पहली परिधि (0–2 किलोमीटर): इस क्षेत्र में किसी भी इमारत की अधिकतम ऊंचाई 7 मीटर से अधिक नहीं हो सकती।

  • दूसरी परिधि (2–4 किलोमीटर): इस क्षेत्र में इमारत की अधिकतम ऊंचाई 15 मीटर तक निर्धारित की गई है।

इसका उद्देश्य यह है कि मंदिर का दृश्य सभी दिशाओं से स्पष्ट और अवरोध-मुक्त बना रहे। इससे श्रद्धालुओं को दूर से ही मंदिर के दर्शन हो सकें और मंदिर की भव्यता अक्षुण्ण बनी रहे।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अहम निर्णय

यह निर्णय केवल भौतिक निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका संबंध राम मंदिर के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से भी है। मंदिर न केवल अयोध्या बल्कि भारतवर्ष के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इसलिए इसके आसपास का विकास भी उसी गरिमा और मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए। ADA का मानना है कि यदि आस-पास ऊंची इमारतें बनती हैं तो इससे मंदिर की भव्यता और आध्यात्मिक वातावरण प्रभावित हो सकता है। वहीं, इससे सुरक्षा और यातायात व्यवस्था में भी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

अयोध्या में नया अध्याय: नियोजित और संतुलित विकास

राम मंदिर को केंद्र मानकर अयोध्या में संतुलित और नियोजित विकास की रणनीति तैयार की जा रही है। मास्टर प्लान-2031 उसी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक संरचनाओं की रक्षा की जा रही है, बल्कि पूरे शहर के विकास को भी एक सुव्यवस्थित ढांचा दिया जा रहा है। इस प्लान के अंतर्गत न केवल भवन निर्माण की ऊंचाई सीमित की जा रही है, बल्कि शहर में हरित क्षेत्र, ट्रैफिक नियंत्रण, यात्री सुविधाओं और हेरिटेज संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

आस्था और आधुनिकता के बीच संतुलन का प्रयास

राम मंदिर के आसपास ऊंची इमारतों पर रोक का यह फैसला एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि अयोध्या का आध्यात्मिक केंद्र राम मंदिर अपनी पारंपरिक पहचान और महत्ता के साथ बना रहे। यह निर्णय आस्था और आधुनिकता के बीच संतुलन का एक उदाहरण बन सकता है, जिससे आने वाले समय में भारत के अन्य धार्मिक स्थलों के विकास के लिए भी सकारात्मक मार्गदर्शन मिलेगा।

 

 

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