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अंतरिक्ष से मां को दिखाया सूर्योदय, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पहली बार परिजनों से की बातचीत, घर में दौड़ी खुशी की लहर

अंतरिक्ष से मां को दिखाया सूर्योदय: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पहली बार परिजनों से की बातचीत, घर में दौड़ी खुशी की लहर

भारतीय अंतरिक्ष मिशन में शामिल हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को अंतरिक्ष से अपने परिजनों से पहली बार बातचीत की। यह पल लखनऊ के त्रिवेणी नगर स्थित उनके घर पर शाम 5:20 से 5:35 बजे के बीच बेहद भावुक और ऐतिहासिक रहा। अंतरिक्ष से बातचीत के दौरान शुभांशु ने अपनी मां को सूर्योदय का दृश्य दिखाया और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की वर्चुअल सैर भी कराई।

सूरज की पहली किरण मां को समर्पित

परिजनों से बातचीत के दौरान शुभांशु ने बताया कि जब वह स्पेस स्टेशन की खिड़की के पास थे, तभी सूर्योदय हो रहा था। उन्होंने अपनी मां आशा शुक्ला से कहा –
“मां, देखिए! अंतरिक्ष से सूरज कैसे निकलता है।”
इस दृश्य को देखकर मां की आंखें नम हो गईं। उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे अविस्मरणीय क्षण बताया।

पूरी फैमिली हुई वर्चुअल जुड़ी

15 मिनट की इस बातचीत में शुभांशु के पिता शंभूदयाल शुक्ला, मां आशा शुक्ला, बहन शुचि मिश्रा और उनके बच्चे वैश्विक व वानिका लखनऊ के घर से जुड़े थे। वहीं, सबसे बड़ी बहन निधि मिश्रा नोएडा से और पत्नी कामना शुक्ला अमेरिका के अटलांटा से वीडियो कॉल में शामिल हुईं।

“शुरुआत के दो दिन अटपटे थे”

बातचीत के दौरान शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में शुरू के दो दिन उन्हें अटपटे लगे। वहां की स्थिति, भारहीनता और नई तकनीकें कुछ समय के लिए चुनौतीपूर्ण थीं, लेकिन अब वह सहज महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि स्पेस स्टेशन 28,163 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है और हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है। इस कारण उन्हें दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का मौका मिलता है।

मिशन के अनुभव साझा किए

शुभांशु ने परिजनों को अपने मिशन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं से भी अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि वहां का जीवन, खान-पान और कार्यशैली किस तरह से नियंत्रित होती है। उन्होंने स्पेस स्टेशन के साइंस मॉड्यूल, रिसर्च लैब और कंट्रोल रूम के बारे में भी जानकारी दी।

परिवार में दौड़ी खुशी की लहर

शुभांशु से बात करने की खबर जैसे ही घरवालों को मिली, पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। माता-पिता और बहनों ने इसे “ईश्वर का आशीर्वाद और गौरवपूर्ण पल” बताया। यह न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

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