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हमीरपुर में गोलगप्पे वाले की दरोगा और सिपाही द्वारा पिटाई, पीड़ित ने शिकायत की

हमीरपुर में गोलगप्पे वाले की दरोगा और सिपाही द्वारा पिटाई, पीड़ित ने शिकायत की

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक गोलगप्पे वाले को पुलिस के दो कर्मियों, दरोगा और सिपाही, ने बीच सड़क पर बेरहमी से पीट डाला। यह घटना तब घटी जब गोलगप्पे वाले ने दोनों से गोलगप्पे के पैसे मांगे थे। इस पर गुस्साए दरोगा और सिपाही ने पीड़ित की इतनी पिटाई की कि वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया।

मामला क्या था?

गोलगप्पे वाला एक छोटा कारोबारी था जो सड़क पर रेहड़ी लगाकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहा था। आरोप है कि एक दिन दरोगा और सिपाही गोलगप्पे खाकर पैसे देने से मुकर गए। जब गोलगप्पे वाले ने उनसे पैसे मांगे तो गुस्से में आकर दोनों पुलिसकर्मियों ने सड़क पर ही उसकी पिटाई शुरू कर दी। इस दौरान गोलगप्पे वाले को कई गंभीर चोटें आईं, और वह दर्द से तड़पते हुए सड़क पर गिर पड़ा।

पिटाई की वजह और परिणाम:

बताया जा रहा है कि यह घटना पूरी तरह से एक मामूली विवाद से शुरू हुई थी, लेकिन पुलिसकर्मियों ने इसे हिंसा में बदल दिया। गोलगप्पे वाले ने पैसे मांगने का अपना अधिकार जताया था, लेकिन उसके इस कदम को पुलिसकर्मियों ने अपमान मान लिया और बीच सड़क पर उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी। पीड़ित को गंभीर चोटें आईं और उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पीड़ित की शिकायत:

घटना के बाद गोलगप्पे वाले ने सीओ राठ से इस मामले की शिकायत की और आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसे बेरहमी से पीटा। उसने बताया कि उसने सिर्फ अपना मेहनताना मांगा था, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उसे मारने-पीटने की धमकी दी और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। पीड़ित ने पुलिस प्रशासन से न्याय की उम्मीद जताई और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

पुलिस विभाग का रुख:

पुलिस प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, सीओ राठ ने घटना की रिपोर्ट दर्ज की है और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस तरह की घटनाएं पुलिस विभाग की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

समाज में चिंता का विषय:

यह घटना यह दर्शाती है कि पुलिसकर्मी कभी-कभी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं और नागरिकों को उनकी मूलभूत अधिकारों से भी वंचित कर देते हैं। खासकर जब यह घटना एक छोटे व्यवसायी के साथ घटी है, तो इससे समाज में यह संदेश जाता है कि अगर कोई गरीब या मेहनतकश व्यक्ति अपने हक की बात करता है तो उसे हिंसा का शिकार होना पड़ सकता है।

इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या पुलिसकर्मियों को अपनी शक्ति का इस्तेमाल इस तरह से करना चाहिए? इस मामले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और समाज में पुलिस के प्रति विश्वास बहाल किया जाएगा।

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