नेपाल बॉर्डर से हो रही सोने की तस्करी, लखनऊ-गोरखपुर-वाराणसी बन रहे बड़े ठिकाने, हर महीने 20 करोड़ तक का कारोबार

उत्तर प्रदेश से सटे नेपाल बॉर्डर के जरिए सोने की तस्करी का जाल लगातार फैलता जा रहा है। तस्कर लग्जरी बसों और अवैध ट्रैवलरों की मदद से तस्करी कर रहे सोने को लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी जैसे बड़े शहरों में खपा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवैध कारोबार से तस्कर हर महीने करीब 15 से 20 करोड़ रुपये की काली कमाई कर रहे हैं।
नेपाल बॉर्डर बना तस्करी का नया गेटवे
भारत-नेपाल सीमा खुली और निगरानी में ढील होने के कारण तस्करों के लिए सोने की आवाजाही आसान हो गई है। तस्कर नेपाल के रास्ते गोल्ड बार्स, बिस्किट और जेवरात भारत में लाकर उत्तर प्रदेश के इन प्रमुख शहरों में ज्वेलर्स और ब्लैक मार्केट नेटवर्क के माध्यम से खपा रहे हैं।
एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने बताया कि,
“तस्कर नेपाल से सोना लाकर गोरखपुर, लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों में पहले से तय अड्डों पर पहुंचाते हैं। यहां कुछ नामी गिरामी ज्वेलर्स और एजेंटों से इनका पुराना गठजोड़ है।”
लग्जरी बस और ट्रैवलर की हो रही मदद
सोने को नेपाल से यूपी के इन शहरों में पहुंचाने के लिए तस्कर लग्जरी पर्यटक बसों और अवैध ट्रैवल वाहनों का उपयोग करते हैं। इन वाहनों में अक्सर डबल बॉडी, फॉल्स फ्लोरिंग या सीटों के नीचे छिपाकर सोना लाया जाता है। साथ ही स्थानीय ड्राइवरों और क्लीनरों की मदद से ये लोग सीमा चौकियों पर चेकिंग से बच निकलते हैं।
हर महीने करोड़ों की तस्करी
एजेंसियों के मुताबिक, इस तस्करी नेटवर्क से जुड़े लोग हर महीने करीब 15 से 20 करोड़ रुपये तक की तस्करी करते हैं। त्योहारों या शादी सीजन के दौरान यह आंकड़ा और बढ़ जाता है। यह पैसा हवाला नेटवर्क के जरिए विदेशों तक भेजा जाता है या रियल एस्टेट और अन्य कारोबारों में खपाया जाता है।
कार्रवाई तेज, पर पकड़ अभी भी चुनौती
हालांकि डीआरआई, कस्टम और एसटीएफ समय-समय पर कार्रवाई कर रही हैं और कई मामलों में सोना और तस्कर पकड़े भी गए हैं, लेकिन नेटवर्क बेहद संगठित और बहुस्तरीय होने के कारण पूरी चैन तक पहुंचना अब भी एक चुनौती बनी हुई है।
एक्सपर्ट्स की चेतावनी
अर्थशास्त्रियों और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी मात्रा में हो रही तस्करी से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है। साथ ही यह भी आशंका जताई जा रही है कि इस धन का उपयोग आपराधिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में भी किया जा सकता है।