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चमचमाती कार और ब्ला-ब्ला एप पर बुकिंग... यहां जानिए उत्तर प्रदेश के फर्जी IAS की हैरान करने वाली कहानी

ये कहानी है दो ऐसे शातिर युवकों की, जो ब्ला ब्ला ऐप के ज़रिए फ़र्ज़ी अधिकारी बनकर लोगों को गाड़ी में बिठाकर लूट रहे थे। इसके लिए उन्होंने एक स्कॉर्पियो गाड़ी रखी थी, जिस पर 'भारत सरकार' और 'मजिस्ट्रेट' लिखा था। इतना ही नहीं, उनके पास आईएएस...
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ये कहानी है दो ऐसे शातिर युवकों की, जो ब्ला ब्ला ऐप के ज़रिए फ़र्ज़ी अधिकारी बनकर लोगों को गाड़ी में बिठाकर लूट रहे थे। इसके लिए उन्होंने एक स्कॉर्पियो गाड़ी रखी थी, जिस पर 'भारत सरकार' और 'मजिस्ट्रेट' लिखा था। इतना ही नहीं, उनके पास आईएएस का फ़र्ज़ी पहचान पत्र और गाड़ी पर लगा एक स्टिकर भी मिला। लेकिन इस बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और अब दोनों सलाखों के पीछे हैं। यह घटना इटावा ज़िले के सैफई थाना क्षेत्र की है, जहाँ पुलिस ने दो फ़र्ज़ी अधिकारियों को गिरफ़्तार करके एक बड़ी साज़िश का भंडाफोड़ किया है। ये दोनों आरोपी अमर पांडे और रामाधीन हैं। मूल रूप से बलरामपुर के रहने वाले हैं, लेकिन फ़र्ज़ी पहचान के साथ पूरे प्रदेश में घूम रहे थे।

इसकी शुरुआत लखनऊ से हुई

यह सब लखनऊ के चारबाग़ रेलवे स्टेशन से शुरू हुआ, जहाँ एक आम यात्री ने स्कॉर्पियो गाड़ी पर भारत सरकार और मजिस्ट्रेट लिखा देखा और उसे सरकारी गाड़ी समझ लिया। उसने ब्ला ब्ला ऐप के ज़रिए फ़िरोज़ाबाद के लिए एक ट्रिप बुक कर ली। उसे क्या पता था कि वह एक सुनियोजित अपराध का हिस्सा बनने जा रहा है। गाड़ी लखनऊ से चली और जैसे ही आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर इटावा जिले के सैफई इलाके में पहुँची, ड्रामा शुरू हो गया। गाड़ी में बैठे नकली अफसरों ने पहले यात्री को धमकाया, फिर उस पर तमंचा तानकर उसका मोबाइल और पैसे छीन लिए। इसके बाद उसे चलती गाड़ी से धक्का देकर सड़क किनारे फेंक दिया।

पुलिस की तत्परता से हुआ खुलासा

उस समय हाईवे पर गश्त कर रही पुलिस की एक टीम मौके पर मौजूद थी। घायल और सदमे में आए यात्री ने किसी तरह हिम्मत जुटाई और पुलिस को घटना की सूचना दी। पुलिस ने तुरंत गाड़ी का पीछा किया। जब शातिर आरोपी पुलिस से बच नहीं पाए, तो गाड़ी छोड़कर मौके से फरार हो गए।

कुछ घंटे बाद, एक युवक उसी स्कॉर्पियो गाड़ी को वापस लेने थाने पहुँचा। उसने अपना नाम अमर पांडे बताया और खुद को शामली जिले की ऊन तहसील का एसडीएम बताया। उसने पुलिस को एक नियुक्ति पत्र भी दिखाया, जो पहली नज़र में असली लग रहा था। लेकिन पुलिस को उसकी बातों में भ्रम नज़र आ गया। पुलिस ने तुरंत लूट के शिकार व्यक्ति को बुलाया और उसकी पहचान कराई। पीड़ित ने अमर पांडे और उसके साथी को तुरंत पहचान लिया। इसके बाद, दोनों को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की गई।

हथियार और दस्तावेज़ों का जखीरा बरामद

वाहन की तलाशी लेने पर पुलिस को दो अवैध तमंचे, ज़िंदा कारतूस और फ़र्ज़ी सरकारी दस्तावेज़ मिले। मजिस्ट्रेट की प्लेट लगी स्कॉर्पियो का भी धोखाधड़ी से इस्तेमाल किया जा रहा था। पुलिस को शक है कि इस गिरोह ने इस तरह कई लोगों को अपना शिकार बनाया है। इनके खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया है।

इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि ये लोग बेहद शातिराना तरीके से योजना बनाकर काम कर रहे थे। आम जनता को गुमराह करने के लिए गाड़ियों पर सरकारी प्लेट, फ़र्ज़ी पहचान पत्र और ख़ुद को सरकारी अधिकारी बताकर लूटपाट की जाती थी। ब्ला-ब्ला जैसे ट्रैवल ऐप का दुरुपयोग करके लोगों को बीच रास्ते में लूटा जाता था। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे यात्रा के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतें और अगर कोई वाहन या व्यक्ति संदिग्ध लगे, तो तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करें।

जाँच जारी है।

पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन आरोपियों ने ऐसी और कितनी वारदातें की हैं। साथ ही, उनका नेटवर्क कितना फैला हुआ है, क्या कोई और भी इसमें शामिल है, और ये फर्जी नियुक्ति पत्र किस माध्यम से बनाए गए।

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