जीआईएस सर्वे का कमाल, 287 रुपये की जगह 1.55 लाख का नया गृहकर, बांट दिए 5500 बिल

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जीआईएस सर्वे को मंजूरी देकर नगर निगम ने नए सत्र से नया हाउस टैक्स लागू कर दिया है। स्थिति यह है कि 287 रुपये सालाना बिल की जगह 1.55 लाख रुपये का नया हाउस टैक्स लगा दिया गया है। चार दिन में ऐसे 5500 मनमाने हाउस टैक्स बिल बांटे जा चुके हैं। इससे भवन स्वामियों में रोष है। शुक्रवार को नए हाउस टैक्स बिल का भौतिक सत्यापन किए बिना वितरण किए जाने पर पार्षदों ने हंगामा किया। संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने चेतावनी दी कि शहर के व्यापारियों को लूटने नहीं दिया जाएगा। नए हाउस टैक्स में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। नगर निगम 2004 में तय राशि के आधार पर कुल 2.58 लाख भवनों से हाउस टैक्स वसूल रहा है। शासन से नियुक्त जीआईएस सर्वे कराया गया, जिसमें सात साल में 1.41 लाख नए भवन चिह्नित किए गए। यानी शहर में कुल 3.99 लाख भवनों से हाउस टैक्स वसूली की सूची निगम को सौंपी गई। लोगों ने जीआईएस सर्वे टीम पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया और निगम अधिकारियों को सबूत भी दिए। जिसके चलते मेयर हरिकांत आहलूवालिया ने निगम की बोर्ड बैठक में नए हाउस टैक्स को स्थगित कर दिया। भौतिक सत्यापन कराने की बात कहते हुए निगम ने नए सत्र 2025 अप्रैल में जीआईएस सर्वे के आधार पर नया हाउस टैक्स लागू कर दिया। चार दिन (10, 11, 12 और 13 जून 2025) में निगम ने शहर के गृह स्वामियों को 5500 हाउस टैक्स बिल भेजे हैं। शुक्रवार को वार्ड-39 ब्रह्मपुरी के मोहल्ला कृष्णापुरी निवासी प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता अपने मकान पर आए नए हाउस टैक्स बिल को लेकर निगम पहुंचे। मनीष गुप्ता ने बताया कि वह हर साल 287 रुपये हाउस टैक्स देते हैं। इसकी रसीद भी लगती है। अब निगम ने 1.55 लाख रुपये का नया हाउस टैक्स बिल भेजा है। चेतावनी दी है कि अगर समय पर जमा नहीं किया तो 1.71 लाख रुपये ब्याज सहित वसूले जाएंगे। इसके अलावा दूसरा बिल कृष्णापुरी निवासी चरणदास के मकान का है। वह सालाना 76 रुपये हाउस टैक्स देते थे, जो अब बढ़ाकर 2678 रुपये कर दिया गया है। टीपी नगर के एक व्यापारी ने बताया कि निगम ने उनके एक मकान पर दस गुना बढ़ाकर दो अलग-अलग हाउस टैक्स बिल भेजे हैं। इसके अलावा कई अन्य बिलों में खामियां पाई गई हैं। जिसके चलते मकान मालिकों ने निगम से संपर्क कर नाराजगी जताई है।
भौतिक सत्यापन नहीं किया और बिल बांट दिए
नगर निगम ने जीआईएस सर्वे में चिह्नित भवनों का सत्यापन नहीं किया। स्वकर फार्म भी नहीं भरा गया। निगम अधिकारियों से शिकायत करने वाले व्यापारियों ने संयुक्त व्यापार संघ के पदाधिकारियों को भी इस बारे में अवगत कराया। अध्यक्ष अजय गुप्ता का कहना है कि नया हाउस टैक्स व्यापारियों को लूटने वाला है। निगम ने भौतिक सत्यापन नहीं किया और न ही नियमों का पालन किया। नगर आयुक्त से भी कई बार शिकायत की जा चुकी है। अब नए बिल बांटे जा रहे हैं। जल्द ही इस मामले में निगम अधिकारियों को घेरा जाएगा।
आपत्तियों के लिए समाधान दिवस आयोजित
गृहकर विभाग की वरिष्ठ प्रभारी एवं अपर नगर आयुक्त लवी त्रिपाठी ने बताया कि नया गृहकर देखकर घबराएं नहीं, कुछ गलतियां हैं, उन्हें दूर कराया जाएगा। गृहकर में आने वाली आपत्तियों के लिए निगम शुक्रवार को तीनों जोन में समाधान दिवस का आयोजन कर रहा है। शिकायतों के निस्तारण के लिए दो अपर नगर आयुक्त और एक मुख्य कर निर्धारण अधिकारी की ड्यूटी तय की गई है। हर शिकायत का निस्तारण किया जाएगा, उसके बाद ही गृहस्वामी नया गृहकर अदा करें। वार्ड-48 के पार्षद दीपक वर्मा ने भी नए गृहकर बिल भेजे हैं। उनके निस्तारण के लिए मुख्य कर निर्धारण अधिकारियों को लगाया गया है।