उत्तर प्रदेश की 10 प्रमुख नदियों में मछली पकड़ना प्रतिबंधित, उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई

उत्तर प्रदेश सरकार ने मत्स्य संरक्षण के लिए बड़ा कदम उठाते हुए राज्य की 10 प्रमुख नदियों में मछली पकड़ने पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध विशेष रूप से प्रजनन काल के दौरान मछलियों की सुरक्षा और संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से लगाया गया है।
प्रतिबंधित नदियों में शामिल हैं:
-
गंगा
-
यमुना
-
टोंस
-
बेलन
-
टुड़ियारी
-
नैना
-
गोरमा
-
लपरी
-
वरुणा
-
ससुर खदेरी
इन सभी नदियों में आगामी आदेश तक मछली पकड़ना पूरी तरह अवैध घोषित किया गया है। आदेश का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई, जिसमें एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी तक की प्रक्रिया शामिल है, की जा सकती है।
मछलियों के संरक्षण के लिए जरूरी कदम
मत्स्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मानसून के समय मछलियों का प्रजनन काल होता है, जब वे अंडे देती हैं और नदियों की सतह पर सक्रिय होती हैं। इस दौरान अगर मछली पकड़ी जाती है, तो पूरी एक पीढ़ी नष्ट हो सकती है, जिससे आने वाले वर्षों में मछलियों की आबादी में भारी गिरावट आ सकती है।
इस निर्णय का उद्देश्य जलजीवों की जैव विविधता को बनाए रखना और स्थानीय मत्स्य व्यवसाय को दीर्घकालिक नुकसान से बचाना है।
उल्लंघन करने पर सख्त सजा
मत्स्य विभाग ने साफ किया है कि यदि कोई व्यक्ति इन प्रतिबंधित नदियों से मछली पकड़ता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ मत्स्य अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा और गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, उसके पास से जब्त जाल, नाव और अन्य उपकरण भी कानूनी रूप से जब्त किए जा सकते हैं।
मछुआरों को दी जा रही जानकारी
प्रशासन और मत्स्य विभाग द्वारा गांवों और नदी किनारे बसे मछुआरा समुदाय को इस प्रतिबंध की जानकारी दी जा रही है। जागरूकता अभियान चलाकर बताया जा रहा है कि यह निर्णय उनके दीर्घकालिक हित में है। साथ ही, कई क्षेत्रों में मछुआरों को वैकल्पिक रोजगार से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।
पर्यावरणविदों ने सराहा
पर्यावरण विशेषज्ञों और जैव विविधता से जुड़े संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यदि इस आदेश का कड़ाई से पालन हुआ, तो आने वाले वर्षों में नदी तंत्र में मछलियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा सकती है।