महिला के वोटर आईडी पर छपी सीएम नीतीश कुमार की तस्वीर, पूर्व बीएलओ पर FIR दर्ज
जिले के नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत जयपालपट्टी मुहल्ले में एक महिला के वोटर आईडी कार्ड पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर छपने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस गंभीर लापरवाही के बाद अब प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। इस मामले में पूर्व बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) पार्वती कुमारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
मधेपुरा नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी तान्या कुमारी द्वारा दर्ज कराए गए आवेदन में स्पष्ट किया गया है कि पूर्व बीएलओ पार्वती कुमारी ने मतदाता सूची अपडेट करते समय एक महिला मतदाता के नाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर जोड़ दी, जो न केवल घोर लापरवाही है, बल्कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धाराओं का भी उल्लंघन है।
प्राथमिकी के अनुसार, मतदाता पहचान पत्र में जिस महिला की प्रविष्टि होनी थी, उसकी असली तस्वीर संलग्न करने की बजाय जानबूझकर या लापरवाहीवश मुख्यमंत्री की तस्वीर जोड़ दी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संबंधित बीएलओ ने बिना सत्यापन के कार्य किया। यह न केवल सरकारी प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे मतदाता पहचान की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े होते हैं।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाध्यक्ष विमलेंदु कुमार ने बताया कि पार्वती कुमारी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी गई है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि यह महज एक तकनीकी गलती थी या इसके पीछे कोई राजनीतिक या शरारतपूर्ण मंशा थी।
प्रशासन की सख्त चेतावनी
नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि चुनाव से जुड़े किसी भी दस्तावेज में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अन्य बीएलओ और संबंधित कर्मचारियों को भी चेतावनी दी है कि भविष्य में यदि किसी प्रकार की लापरवाही सामने आती है, तो संबंधित कर्मियों के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जनता में हैरानी, चुनाव आयोग से सख्ती की मांग
इस घटना के सामने आने के बाद आम नागरिकों में भी हैरानी और असंतोष देखा गया। लोगों का कहना है कि यदि इतनी गंभीर लापरवाही एक आईडी कार्ड में हो सकती है, तो पूरे मतदान तंत्र पर सवाल खड़े होते हैं। कई लोगों ने चुनाव आयोग से मांग की है कि इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए तकनीकी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाए और संबंधित कर्मियों को जवाबदेह ठहराया जाए।
फिलहाल, मधेपुरा पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और उम्मीद की जा रही है कि दोषियों के खिलाफ जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि मतदाता पहचान जैसे गंभीर दस्तावेज की प्रक्रिया में कितनी सतर्कता और पारदर्शिता जरूरी है।

