राजा भैया के खिलाफ एफआईआर के आदेश से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी, जमीन के विवाद में मुकदमा दर्ज
केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ एफआईआर के आदेश से राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। एमपीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट) कोर्ट की विशेष न्यायाधीश अपेक्षा सिंह ने भूमि विवाद के मामले में राजा भैया, उनके निजी सचिव राजेश सिंह सहित पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
मामला जमीन के बैनामे को लेकर शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप है कि राजा भैया और उनके साथियों ने धमकी देकर भूमि का बैनामा कराया। यह विवाद लंबे समय से चला आ रहा था और अब इस पर अदालत ने कार्यवाही शुरू कर दी है।
एफआईआर के आदेश के बाद, राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस मामले को उठाकर केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है। वहीं, राजा भैया के समर्थकों का कहना है कि यह आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और राजनीतिक विद्वेष के चलते उनका नाम घसीटा जा रहा है।
राजा भैया, जो पूर्व में उत्तर प्रदेश के रसूखदार नेताओं में से एक माने जाते हैं, इस मामले को लेकर अपनी सफाई देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने आरोपों को सिरे से नकारा किया है और कहा कि यह पूरी घटना राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस मामले का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि राजा भैया की छवि राज्य के कुछ इलाकों में मजबूत है। वहीं, केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एफआईआर के आदेश से यूपी की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या राजा भैया अपनी राजनीतिक स्थिति को बचाने में सफल होते हैं।

