
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के करछना क्षेत्र में रविवार को भड़की हिंसा के मामले में अब बड़ी कार्रवाई सामने आई है। पुलिस ने इस मामले में करीब 600 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। हिंसा में शामिल रहे उपद्रवियों की पहचान करने के लिए CCTV फुटेज, वीडियो क्लिप्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स की गहन जांच की जा रही है।
बता दें कि यह हिंसा उस वक्त भड़की थी जब भीम आर्मी प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद को कौशांबी जाने से रोक दिया गया था। इसके बाद उनके समर्थक उग्र हो गए थे और करीब दो घंटे तक करछना क्षेत्र में सड़क पर तांडव मचाया था। इस दौरान डायल 112 की गाड़ी को पलट दिया गया, रोडवेज की बसों में तोड़फोड़ की गई और कई बाइकों को आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस टीम पर भी पथराव हुआ, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
पुलिस की सख्त कार्रवाई शुरू
प्रयागराज पुलिस प्रशासन ने हिंसा की गंभीरता को देखते हुए इस मामले में तेज़ी से कार्रवाई शुरू कर दी है। करछना थाने में दर्ज एफआईआर में करीब 600 अज्ञात और कुछ नामजद आरोपियों को शामिल किया गया है। एसएसपी प्रयागराज ने बताया कि, "शांति भंग करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। वीडियो और फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है और जल्द ही गिरफ्तारियां की जाएंगी।"
शांति बनाए रखने की अपील
घटना के बाद से ही प्रयागराज में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। RAF और PAC की टुकड़ियां संवेदनशील इलाकों में गश्त कर रही हैं। प्रशासन ने आमजन से शांति बनाए रखने और किसी भी अफवाह से दूर रहने की अपील की है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
भीम आर्मी और उसके समर्थकों की ओर से पुलिस की कार्रवाई को "एकतरफा" बताया गया है, जबकि भाजपा और अन्य दलों ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के प्रशासन के फैसले को सही ठहराया है।
इस मामले ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीतिक आक्रोश को सड़कों पर उतारने की क्या कीमत चुकानी पड़ती है और आम लोगों की सुरक्षा के लिए किस तरह की तैयारी होनी चाहिए।