
मथुरा में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शुक्रवार को स्वयंसेवकों से कहा कि संघ अपने शताब्दी वर्ष में है। पंच परिवर्तन के आधार पर पूरे समाज में बड़े परिवर्तन की ओर बढ़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने समाज को जातिगत असमानता से मुक्त करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने लोगों को जातिवाद के जाल से बाहर निकलकर सोचने और कार्य करने का संदेश दिया। उन्होंने प्रशिक्षित स्वयंसेवकों से विचारों का आदान-प्रदान भी किया। फरह के परखम स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय गो-विज्ञान शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र में 28 मई से सामान्य श्रेणी प्रथम के स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रशिक्षण 18 जून तक चलेगा। इन स्वयंसेवकों को प्रतिदिन पूर्ण गणवेश में योगाभ्यास व संघ की अन्य विधाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी कड़ी में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत गुरुवार को परखम पहुंचे। शुक्रवार सुबह उन्होंने स्वयंसेवकों के संवाद सत्र में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में शुरू हुए पंच परिवर्तन के आधार पर समाज बड़े परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। इस समाज को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। साथ ही, इसे किसी भी तरह के जातिवाद से मुक्त होना चाहिए। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि संघ के विस्तार के लिए उन्हें सिर्फ शाखाओं तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्हें शाखा क्षेत्र के हर परिवार को संघ की विचारधारा से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। इसके बाद शुक्रवार शाम को बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया। शनिवार को भी बौद्धिक और प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद शाम को संघ प्रमुख मोहन भागवत यहां से रवाना होंगे।