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इटावा कथावाचक विवाद में पुलिस का एक्शन तेज, 19 उपद्रवी हिरासत में, मामला ले रहा है नया मोड़

इटावा कथावाचक विवाद में पुलिस का एक्शन तेज, 19 उपद्रवी हिरासत में, मामला ले रहा है नया मोड़

इटावा जिले के दांदरपुर गांव में कथावाचक मुकुट मणि यादव के साथ हुई मारपीट और उसके बाद हुए उपद्रव के मामले में पुलिस ने कार्रवाई की रफ्तार बढ़ा दी है। अब तक पुलिस पर हमला करने की कोशिश के आरोप में 19 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि कथावाचक की पिटाई के मामले में पहले ही 4 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने साफ किया है कि शेष आरोपियों की तलाश जारी है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव बना हुआ है, जिसे देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की है। कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए ड्रोन से निगरानी, गश्त और सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।

क्या है पूरा मामला?

कथावाचक मुकुट मणि यादव पर फर्जी दस्तावेज और धार्मिक भावनाओं से जुड़ी गतिविधियों का आरोप लगाकर स्थानीय लोगों ने उनके साथ मारपीट की थी, जिसके बाद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस घटना के विरोध में यादव समाज और स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन और चक्काजाम कर दिया। मामला इतना बिगड़ा कि पुलिस को हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी थी।

पुलिस पर हमले की साजिश

पुलिस के अनुसार, जब वे प्रदर्शनकारियों को शांत कराने पहुंचे, तो कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पर हमला करने की कोशिश की, जिसमें कई वाहनों को नुकसान पहुंचा। इसी मामले में 19 लोगों को हिरासत में लिया गया है। आरोप है कि यह पूर्व नियोजित हमला था और इसकी जांच गंभीर धाराओं में दर्ज कर की जा रही है।

नया मोड़: दस्तावेजी जांच का एंगल

इस मामले में अब नया मोड़ सामने आ गया है। सूत्रों के मुताबिक, कथावाचक मुकुट मणि यादव के पहचान पत्रों और दस्तावेजों की जांच में गंभीर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि उनके पास एक ही आधार नंबर पर दो अलग-अलग नामों वाले कार्ड पाए गए हैं, जो अब पुलिस और प्रशासन की जांच का केंद्र बन चुके हैं।

इस खुलासे के बाद पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि कथावाचक ने यह पहचान पत्र किस उद्देश्य से बनवाए और क्या इनका उपयोग किसी सरकारी योजना या धोखाधड़ी के लिए किया गया है। मामले में अब आइटी एक्ट, धोखाधड़ी और पहचान पत्र अधिनियम के तहत भी जांच की जा रही है।

राजनीतिक माहौल गर्म

इस पूरे मामले पर राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी ने इसे जातीय उत्पीड़न का मामला बताते हुए सरकार को घेरा है, जबकि योगी सरकार और उनके मंत्री जयवीर सिंह ने इसे कानून व्यवस्था और सबूतों की कार्रवाई करार देते हुए विपक्ष पर जातीय तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।

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