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 बुजुर्गों को जवान दिखाकर कराते थे बीमा, फिर हड़प लेते थे क्लेम, आठ जालसाज गिरफ्तार

 बुजुर्गों को जवान दिखाकर कराते थे बीमा, फिर हड़प लेते थे क्लेम, आठ जालसाज गिरफ्तार

शुक्रवार को एसटीएफ की टीम को बरेली में बड़ी सफलता मिली। एसटीएफ ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत फर्जी बीमा क्लेम कर लाखों रुपये हड़पने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। टीम ने आठ लोगों को गिरफ्तार कर भोजीपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। काफी समय से फर्जी बीमा क्लेम करने वाले गिरोह के बारे में सूचना मिल रही थी। शुक्रवार को बरेली एसटीएफ के एएसपी अब्दुल कादिर को सूचना मिली कि जीवन ज्योति योजना के तहत फर्जी बीमा क्लेम करने वाले गिरोह के सदस्य भोजीपुरा क्षेत्र में नैनीताल हाईवे पर हैं। टीम ने मौके पर पहुंचकर आठ लोगों को पकड़ लिया। टीम उन्हें भोजीपुरा थाने ले गई। आरोपियों में भोजीपुरा थाना क्षेत्र के कंचनपुर निवासी राहुल गिहार, जगदीश, बंटी, नरेंद्र उर्फ ​​नंदू, मॉडर्न गांव निवासी सुरेंद्र गंगवार, देवरिया निवासी बासित, सुभाषनगर के मोहल्ला अशोकनगर निवासी संदीप और इज्जतनगर एरो सिटी निवासी प्रभाकर त्रिपाठी शामिल हैं।

जबकि एक आरोपी योगेश अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। उनकी तलाश जारी है। गिरफ्तार लोगों के पास से टीम ने 14 क्लेम फार्म, 23 मूल आधार कार्ड, 33 बैंक पासबुक, 6 पैन कार्ड, ग्राम प्रधान के हस्ताक्षरयुक्त 66 निवास प्रमाण पत्र, 12 मोबाइल, 85 डाक टिकट, 3300 रुपये नकद बरामद किए हैं। ये 85 वर्षीय व्यक्ति की उम्र 48 वर्ष दिखाकर उसकी मौत के बाद पैसा हड़प लेते थे। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में 18 से 50 वर्ष की आयु के लोगों का बैंक स्तर पर बीमा करने का नियम है। इसमें खाते से करीब 434 रुपये सालाना प्रीमियम कटता है। इस दौरान अगर खाताधारक की मौत हो जाती है तो उसके आश्रित को दो लाख रुपये की मदद मिलती है। ये शातिर लोग बुजुर्गों के फर्जी आधार कार्ड बनाकर उनकी उम्र कम दिखाकर बीमा करा लेते थे। उनकी मौत के बाद लाखों रुपये क्लेम कर पैसा हड़प लेते थे। कई ऐसी फाइलें मिलीं, जिनमें मृत्यु से चंद दिन पहले ही बीमा कराया गया था। संदेह के आधार पर भुगतान रोक दिया गया और इन फाइलों की जांच शुरू कर दी गई। 80 से 85 वर्ष की उम्र के बुजुर्गों की उम्र 48 वर्ष दिखाकर उनका बीमा करा लिया गया। सर्वेयर लेते थे 30 हजार रुपये फर्जी बीमा कराने वाले राहुल, जगदीश, नरेंद्र, सुरेंद्र और बंटी क्षेत्र के मृतक बुजुर्गों का बीमा फार्म भरते थे। सर्वेयर का काम संदीप, योगेश और प्रभाकर त्रिपाठी करते थे। ये लोग प्रत्येक केस के लिए तीस हजार रुपये लेते थे।

लोगों को गुमराह करने के लिए प्रभाकर त्रिपाठी अपना नाम अनिल बताता था। इन लोगों के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है। इन लोगों ने कितनी फर्जी बीमा पॉलिसियां ​​ली हैं, इसका डाटा जुटाया जा रहा है। फर्जी आधार कार्ड बनाते थे बासिद और फहीम भोजीपुरा देवरिया निवासी बासिद और उसके गांव का फहीम उर्फ ​​गुड्डू मरने वाले बुजुर्गों का फर्जी आधार कार्ड बनाते थे। ये दोनों बुजुर्ग लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनाते थे और इनकी उम्र 48 साल होती थी। जब बुजुर्ग की मौत हो जाती थी तो क्लेम की रकम आपस में बांट ली जाती थी। कई बार ये लोग मृतक के परिजनों से चेक बुक और नॉमिनी के हस्ताक्षर लेकर रख लेते थे और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से पैसे निकाल लेते थे। कई बार नॉमिनी को थोड़ी रकम दे देते थे और कई बार उसे पता भी नहीं चलता था कि उसे क्लेम मिल गया है। ये लोग फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार रजिस्टर की नकल भी बनाते थे। बासिद और फहीम किस लिए लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनवाते थे और मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार रजिस्टर की नकल बनवाते थे। इस गिरोह की गतिविधियों पर काफी समय से नजर थी। फिलहाल आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनसे पूछताछ की जा रही है, नए आरोपी सामने आकर नए खुलासे कर सकते हैं।

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