निरसित अधिनियम में दर्ज मुकदमे पर सख्त हुए डीजीपी राजीव कृष्ण, अफसरों को दी चेतावनी
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी है कि राज्य सरकार द्वारा निरसित (समाप्त) किए गए अधिनियमों के तहत कोई भी मुकदमा दर्ज न किया जाए। यह चेतावनी तब सामने आई है जब प्रयागराज निवासी एक युवक के खिलाफ "उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 1998" के तहत गलत तरीके से मुकदमा दर्ज किया गया, जबकि यह अधिनियम वर्ष 2023 में ही समाप्त कर दिया गया था।
क्या है मामला?
प्रयागराज के एक युवक के खिलाफ बीते दिनों पुलिस ने उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 1998 के तहत मुकदमा दर्ज किया, जो कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2023 में ही निरसित किया जा चुका है। जब यह मामला पुलिस मुख्यालय के संज्ञान में आया, तो डीजीपी राजीव कृष्ण ने इसे गंभीर लापरवाही माना और तत्काल जांच करवाई।
डीजीपी की सख्त चेतावनी
राजीव कृष्ण ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी समाप्त (निरसित) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करना कानून की अनदेखी और प्रशासनिक चूक है। उन्होंने प्रदेशभर के सभी पुलिस अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे वर्तमान में प्रभावी विधिक प्रावधानों की गहन जानकारी रखें और किसी भी पुराने, समाप्त कानून के अंतर्गत कोई भी कार्रवाई न करें।
डीजीपी ने यह भी कहा कि भविष्य में यदि इस प्रकार की गलती दोहराई गई, तो संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
कानूनी व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और अद्यतन विधिक जानकारी की गंभीर कमी को उजागर कर दिया है। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि निरसित कानून के तहत मुकदमा दर्ज करना न केवल गैरकानूनी है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग भी है, जो आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
प्रशासन की पहल आवश्यक
इस घटना के बाद उम्मीद की जा रही है कि पुलिस विभाग में विधिक प्रशिक्षण और कानूनी अपडेट की प्रक्रिया को और सशक्त किया जाएगा। पुलिसकर्मियों को समय-समय पर वर्तमान विधियों और उनके संशोधनों की जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी चूक न हो।

