50 घंटे लगातार पैदल चलकर प्रेमानंद महाराज के लिए 125 लीटर गंगाजल लाए भक्त, राजस्थान के इस प्राचीन शिव मंदिर में होगा अभिषेक
सावन का महीना चल रहा है और लाखों कांवड़िये जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं। इसी बीच, राजस्थान के धौलपुर से कुछ कांवड़िये जल लाकर प्रेमानंद जी महाराज के उत्तम स्वास्थ्य के लिए भगवान शिव का जलाभिषेक कर रहे हैं। ये सभी कांवड़िये कासगंज जिले के सोरों घाट से 125 लीटर गंगाजल लेकर निकले थे। सभी कांवड़ियों ने राजस्थान के धौलपुर स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया और प्रेमानंद जी महाराज के उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।
VIDEO | Rajasthan: A group of Kanwariyas carried 125 litres of holy Ganga water from the revered Achaleshwar Temple in Dholpur. The devotees undertook the sacred journey with deep devotion, offering prayers for the well-being and speedy recovery of Swami Premanand Maharaj.
— Press Trust of India (@PTI_News) July 22, 2025
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कांवड़िये 125 लीटर जल चढ़ाएँगे
एक कांवड़िये ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि हमारी पूरी टीम इसमें लगी हुई है और हमने सोरों घाट से 125 लीटर जल भरा है। उन्होंने कहा कि हम धौलपुर में चंबल घाटी स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर जाकर जल चढ़ाएँगे और प्रेमानंद जी महाराज के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करेंगे। कांवड़ियों ने बताया कि हम 50 घंटे से लगातार पैदल चल रहे हैं और हमारा उद्देश्य है कि प्रेमानंद जी महाराज का स्वास्थ्य अच्छा रहे।
प्रेमानंद जी महाराज कौन हैं?
प्रेमानंद जी महाराज राधा रानी के परम भक्त हैं और उनके प्रवचन सुनने वालों की संख्या करोड़ों में है। बड़ी-बड़ी हस्तियाँ भी प्रेमानंद जी महाराज के भक्त हैं। कुछ लोग तो उन्हें ईश्वर का अवतार भी मानते हैं। प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है और उनका जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था, हालाँकि पूरा परिवार ईश्वर की भक्ति में लीन रहा। प्रेमानंद जी महाराज का जन्म 1972 में कानपुर के एक गाँव में हुआ था।
प्रेमानंद के पिता शंभू पांडे ने भी संन्यास ग्रहण कर लिया था। प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत छोटी उम्र से ही पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया था और पाँचवीं कक्षा में ही उन्होंने भगवद् गीता पढ़ना शुरू कर दिया था। 13 वर्ष की आयु में प्रेमानंद जी महाराज ने घर छोड़कर ब्रह्मचारी की दीक्षा ले ली। बाद में प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन पहुँचे और यहाँ उनकी मुलाकात कई संतों से हुई। इसके बाद एक दिन वे राधा वल्लभ मंदिर पहुँचे। यहां प्रेमानंद जी ने सद्गुरु देव की सेवा की और उनका जीवन बदल गया।

