भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में उमड़ा आस्था का सैलाब, गुलाबों की सुगंध से महका वातावरण

चारों ओर लाल गुलाबों की भीनी-भीनी सुगंध, वातावरण को भक्तिभाव से सराबोर करती हुई। उस सुगंध से आलोकित मार्ग पर जैसे ही श्रद्धालुओं की नजर सामने खड़े भगवान जगन्नाथ के विशाल रथ पर पड़ती है, श्रद्धा का ज्वार उमड़ पड़ता है। कोई हाथ जोड़कर दौड़ पड़ता है, तो कोई भावविह्वल नेत्रों से प्रभु के दिव्य स्वरूप को निहारने लगता है।
पूरे वातावरण में एक अलौकिक ऊर्जा प्रवाहित हो रही है। रथ के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालु भावनाओं से भर उठते हैं। नेत्रों में श्रद्धा के आंसू, होठों पर प्रभु को पुकारते अस्फुट याचना के स्वर, और मन में केवल एक ही कामना — प्रभु दर्शन हो जाएं, कृपा दृष्टि बरसे।
रथ यात्रा में उमड़ी भीड़
भगवान जगन्नाथ की पारंपरिक रथयात्रा में आज हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। रथ के आगे-पीछे नाचते-गाते, भजन गाते श्रद्धालु, डमरू और घंटियों की आवाज से गूंजता माहौल, हर चेहरा एक ही भाव से ओतप्रोत — श्रद्धा और समर्पण।
गुलाबों से सजा रथ
इस वर्ष भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को लाल गुलाबों से भव्य रूप से सजाया गया। गुलाबों की सुगंध और रंगीनियां पूरे मार्ग को आध्यात्मिक आभा से प्रकाशित कर रही थीं। जैसे-जैसे रथ आगे बढ़ा, भक्तों की श्रद्धा और उल्लास भी उसी रफ्तार से बढ़ता चला गया।
भावनाओं का सागर
रथ खींचते समय कई भक्तों की आंखें नम हो गईं। किसी के चेहरे पर कातर दृष्टि, तो कोई हाथ जोड़कर मौन प्रार्थना में लीन। एक वृद्धा भक्त बुदबुदा रही थीं — "हे प्रभु! इस जन्म में तुम्हारे चरणों तक पहुंचने का सौभाग्य मिला, अब जीवन सफल हो गया।"
सुरक्षा और व्यवस्था
प्रशासन की ओर से रथयात्रा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल, वालंटियर, स्वास्थ्य कर्मी व आपातकालीन सेवाएं पूरे मार्ग पर तैनात थीं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन, बल्कि आस्था और अध्यात्म का अद्भुत संगम है, जहां हर भक्त अपनी निजी पीड़ा, कामना और भक्ति को प्रभु के चरणों में अर्पित कर देता है। आज का यह दिन भक्तों के लिए सदियों तक स्मरणीय रहेगा।