बिजली मंत्री के सख्त निर्देशों के बावजूद नहीं थमी बिजली कटौती, बारिश में भी ग्रामीण और शहरी इलाके बेहाल

उत्तर प्रदेश में ऊर्जा मंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती का सिलसिला लगातार जारी है। यह स्थिति तब है जब हालिया बारिश और रिमझिम फुहारों के चलते बिजली की मांग घटकर 31439 मेगावाट से 28573 मेगावाट रह गई है। इसके बावजूद अघोषित बिजली कटौती और बार-बार ट्रिपिंग से आम जनता और छोटे उद्यमी परेशान हैं।
शहरी इलाकों में भी 'बिजली की आंख मिचौली'
बारिश और तेज हवाओं के बीच शहरी क्षेत्रों में भी बिजली की आंख मिचौनी लगातार जारी है। देर रात बिजली जाने की घटनाओं से लोगों की नींद खराब हो रही है, वहीं कई क्षेत्रों में घंटों तक बिजली गुल रहने से स्कूलों के ऑनलाइन कक्षाएं और ऑफिस वर्क भी प्रभावित हो रहा है।
ग्रामीण इलाकों में हालात और भी बदतर
ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो वहां बिजली की स्थिति और भी दयनीय है। बार-बार ट्रिपिंग, घंटों लाइट न आना, और कम वोल्टेज की समस्या लगातार बनी हुई है। इससे लघु एवं कुटीर उद्योगों पर सीधा असर पड़ रहा है, जहां मशीनें ठप पड़ी हैं और उत्पादन रुक गया है।
एक किसान नेता ने कहा:
“पंप चलाने तक को बिजली नहीं है, ऐसे में खेतों की सिंचाई रुक गई है। सरकार को चाहिए कि ग्रामीण इलाकों को प्राथमिकता में रखे।”
ऊर्जा मंत्री के आदेशों का असर न के बराबर
हाल ही में ऊर्जा मंत्री ने सभी डिस्कॉम अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि अघोषित बिजली कटौती रोकी जाए और ग्रामीण क्षेत्रों में सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। परंतु जमीनी हकीकत इसके उलट नजर आ रही है।
बिजली विभाग का क्या है पक्ष?
बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि
“बारिश और तेज हवा के चलते लाइन फॉल्ट, पेड़ गिरने और इंसुलेटर खराब होने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे ट्रिपिंग होती है। टीमों को फील्ड में भेजा गया है और सुधार कार्य तेजी से किया जा रहा है।”
आम जनता में गुस्सा
लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर सहित तमाम शहरों से बिजली कटौती की शिकायतें सोशल मीडिया और जनसुनवाई पोर्टल पर तेजी से बढ़ रही हैं। लोगों का कहना है कि
“जब बिजली की मांग कम हो गई है, तो सप्लाई बाधित क्यों हो रही है? क्या व्यवस्था सिर्फ कागजों पर दुरुस्त है?”