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दिल्ली के हैंडीक्राफ्ट कारोबारी की करोड़ों की जमीन हड़पने की साजिश, फर्जी दस्तावेज़ और मृत्यु प्रमाणपत्र तक बनाए गए, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

दिल्ली के हैंडीक्राफ्ट कारोबारी की करोड़ों की जमीन हड़पने की साजिश, फर्जी दस्तावेज़ और मृत्यु प्रमाणपत्र तक बनाए गए, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

हाईवे किनारे स्थित करोड़ों रुपये की बेशकीमती जमीन को हड़पने की साजिश का सनसनीखेज मामला सामने आया है। दिल्ली के एक हैंडीक्राफ्ट कारोबारी ने सिकंदरा थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि उनकी जमीन पर कब्जा जमाने के लिए आरोपी ने उनके नाम से फर्जी दस्तावेज़ तैयार करवाए, जिसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और यहां तक कि फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र भी शामिल है।

क्या है मामला?

दिल्ली निवासी एक प्रतिष्ठित हस्तशिल्प व्यापारी की सिकंदरा क्षेत्र में हाईवे किनारे करोड़ों की जमीन है। कारोबारी लंबे समय से इस संपत्ति के मालिक हैं और इसे कानूनी रूप से रजिस्टर्ड कराया गया है। हाल ही में उन्हें जानकारी मिली कि कोई व्यक्ति उनकी इस जमीन को अपने नाम कराने की कोशिश कर रहा है। जब उन्होंने मामले की जांच कराई, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई।

फर्जी दस्तावेज़ों से रची गई साजिश

आरोप है कि जमीन पर कब्जा करने की नीयत से आरोपी रघुनाथ सिंह ने कारोबारी के नाम से न सिर्फ फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी बनवाए, बल्कि उनका फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र भी तैयार कर लिया। इन दस्तावेजों के आधार पर वह जमीन को उत्तराधिकार के नाम पर अपने नाम कराने की कोशिश में था।

पुलिस ने दर्ज की रिपोर्ट, जांच शुरू

कारोबारी की शिकायत पर आगरा के सिकंदरा थाने की पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी रघुनाथ सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक जांच में कारोबारी के आरोपों में सच्चाई नजर आ रही है और दस्तावेजों की वैधता की जांच की जा रही है।

क्या बोले पुलिस अधिकारी?

सिकंदरा थाना प्रभारी ने बताया, “यह मामला बेहद गंभीर है। आरोपी ने जिस तरह से फर्जी दस्तावेज़ तैयार कराए हैं, उससे स्पष्ट है कि यह एक सुनियोजित साजिश है। दस्तावेज़ों की फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

जमीन माफियाओं की साजिश या बड़ा गिरोह?

इस घटना के बाद आशंका जताई जा रही है कि यह कोई अकेले व्यक्ति की साजिश नहीं, बल्कि जमीन माफियाओं के किसी संगठित गिरोह का हिस्सा भी हो सकता है। पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही है कि क्या इस साजिश में सरकारी कार्यालयों या दलालों की मिलीभगत भी है।

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