‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ पोस्ट साझा करने के मामले में हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज, कोर्ट ने देशविरोधी गतिविधियों पर जताई सख्ती

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ जैसे नारे वाले फेसबुक पोस्ट को साझा करने के आरोप में गिरफ्तार अंसार अहमद सिद्दीकी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि देशविरोधी गतिविधियों को लेकर अदालतों की बढ़ती सहनशीलता ही ऐसे मामलों के इजाफे का कारण बन रही है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि इस प्रकार की गतिविधियां देश की एकता, अखंडता और सामाजिक सौहार्द के लिए गंभीर खतरा हैं। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा,
“ऐसे प्रकरणों में यदि अदालतें कठोर रुख न अपनाएं तो यह प्रवृत्ति बढ़ती ही जाएगी। ऐसे मामलों में जमानत देना समाज और राष्ट्र की सुरक्षा के विरुद्ध होगा।”
क्या है मामला?
अंसार अहमद सिद्दीकी पर आरोप है कि उसने अपने फेसबुक अकाउंट से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ जैसे देशविरोधी नारे वाले पोस्ट साझा किए, जिससे सार्वजनिक शांति और सामाजिक सद्भाव को ठेस पहुंचने की आशंका बनी। इस मामले में उसके खिलाफ आईटी एक्ट और देशद्रोह से संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।
पुलिस और अभियोजन पक्ष का पक्ष
सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि आरोपी द्वारा किया गया कृत्य सोच-समझकर किया गया एक उकसावेपूर्ण कृत्य था, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक शांति को भंग करना था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और जमानत मिलने पर वह दोबारा ऐसी गतिविधियों में शामिल हो सकता है।
कोर्ट का संदेश
हाईकोर्ट का यह फैसला स्पष्ट संकेत देता है कि देशविरोधी बयानों और पोस्टों पर अब सख्त नजर रखी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मंच मानने का अर्थ यह नहीं कि कोई भी राष्ट्र विरोधी विचारधारा का प्रचार कर सकता है।