10 हजार में डिग्री, 2000 में अगूंठे का क्लोन… कैसे फर्जी मार्कशीट बनाता था इमरान, फर्जीवाड़े की कहानी

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस ने क्लोन फिंगरप्रिंट और मार्कशीट बनाने के आरोप में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनकी सूचना के आधार पर पुलिस ने अंगूठे की क्लोनिंग मशीन, अन्य सामग्री और फर्जी मार्कशीट जब्त की है। आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने कुल 6 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाने में मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस चार अन्य लोगों की तलाश कर रही है।
कोतवाली पुलिस ने गोलघर चौक के आसपास संचालित दुकानों पर छापेमारी की। फर्जी फिंगरप्रिंट और फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस के अनुसार, गिरोह के सभी सदस्यों के बीच काम बंटा हुआ है। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी दुकानों में फिंगरप्रिंट क्लोनिंग सामग्री पाई गई है। फर्जी फार्मेसी और स्नातक की डिग्रियां भी मिली हैं। दोनों आरोपियों की पहचान शाहपुर थाना क्षेत्र के निवासी श्याम बिहारी गुप्ता उर्फ गंगाराम बिछिया और महराजगंज जिले के निचलौल निवासी इमरान खान के रूप में की गई है.
पुलिस पूछताछ के दौरान दोनों ने चार अन्य लोगों के नाम बताए। उनकी पहचान कोतवाली थाना क्षेत्र के संदीप और ओम प्रकाश पंडित के रूप में हुई है, अन्य दो आरोपी तबरेज और जयंत उसी इलाके के निवासी हैं। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
पुलिस ने चार आरोपियों को किया गिरफ्तार
पुलिस चार अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है। पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी श्याम बिहारी उर्फ गंगाराम ने बताया कि जब कोई ग्राहक उसके पास अपना फिंगरप्रिंट क्लोन करवाने के लिए आता है तो वह सबसे पहले उस व्यक्ति का फिंगरप्रिंट सादे कागज पर ले लेता है, जिसके बाद वह फिंगरप्रिंट को स्याही मार्केट में संदीप नाम के युवक को दे देता है जो फिंगरप्रिंट को स्कैन करके पेन ड्राइव में सेव कर लेता है। यह पेन ड्राइव फिर इमरान को दे दी जाती है। इमरान ट्रेसिंग पेपर पर प्रिंटिंग करके पॉलिमर मशीन का उपयोग करके क्लोन बनाते हैं। जिसके बाद श्याम बिहारी ने गणेश चौराहा स्थित एक दुकान पर स्टाम्प को 3डी प्रिंट कराकर तैयार कराया।
मार्कशीट बनाने के लिए वे 10 हजार रुपए लेते थे।
पुलिस पूछताछ में दूसरे आरोपी इमरान ने बताया कि वह फोटोशॉप सॉफ्टवेयर की मदद से सभी फर्जी मार्कशीट बनाता है। जांच के दौरान पुलिस को इमरान के मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप चैट मिली, जिसमें कई विश्वविद्यालयों की मार्कशीट भी थीं। इमरान ने पुलिस को बताया कि वह अंगूठे का क्लोन बनाने के लिए 700 से 2000 रुपये तक लेता था। वह फर्जी मार्कशीट के लिए लोगों से 10,000 से 15,000 रुपये वसूलता था। गिरोह के मास्टरमाइंड इमरान ने बताया कि फोटोशॉप की मदद से वह देश के किसी भी बड़े विश्वविद्यालय से 10 हजार रुपये में मेडिकल की डिग्री दिला सकता है। 10,000.