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साइबर ठगी से पूरे करते थे शौक, दुबई में निवेश की जाती थी रकम, दोबारा नहीं इस्तेमाल करते थे उपकरण

साइबर ठगी से पूरे करते थे शौक, दुबई में निवेश की जाती थी रकम, दोबारा नहीं इस्तेमाल करते थे उपकरण

साइबर थाना, साइबर सेल और पीजीआई थाने की संयुक्त टीम द्वारा पकड़े गए साइबर ठगी गिरोह के सदस्य इस धंधे में पूरी तरह डूबे हुए थे। पुलिस के मुताबिक ठगी के पैसों से आरोपी अपना शौक पूरा करते थे। पूरा गिरोह साइबर क्राइम के अलावा कोई दूसरा काम नहीं करता था। यह गिरोह ठगी के पैसों को दुबई में जमा करता था। मास्टरमाइंड ठगी करने वालों को अपना कमीशन देता था। पुलिस आरोपियों का आपराधिक इतिहास खंगाल रही है। आरोपियों के खिलाफ पीजीआई थाने में केस दर्ज किया गया है। एक जगह पर ज्यादा दिन नहीं टिकते थे डीसीपी ने बताया कि यह गिरोह एक जगह पर ज्यादा दिन नहीं टिकता था। शहर में करोड़ों रुपये ठगने के बाद अपना ठिकाना बदल लेते थे। इसके साथ ही ठगी में इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड, मोबाइल फोन और लैपटॉप को नष्ट कर देते थे। बदमाश अलग-अलग जगहों पर नए उपकरण इस्तेमाल करते थे, ताकि कोई उन्हें पकड़ न सके।

पुलिस द्वारा फ्रीज किए गए खातों का ये लोग दोबारा इस्तेमाल नहीं करते थे। लालच में न आएं, लिंक पर क्लिक करने से बचें डीसीपी क्राइम के अनुसार, अगर साइबर जालसाजों से बचना है तो सतर्कता सबसे जरूरी है। कुछ बातों का ध्यान रखकर साइबर ठगी से बचा जा सकता है। - मैसेज में आए किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें। - अगर कोई अनजान व्यक्ति आपको कॉल या मैसेज करके कम समय में ज्यादा मुनाफे का लालच देता है तो सावधान हो जाएं। यह साइबर जालसाजों की चाल है। - निवेश के लिए हमेशा विश्वसनीय एप या प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें। पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही निवेश करें। - अनजान मोबाइल या गेमिंग एप और अन्य सोशल साइट्स का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। - अनजान लोगों की वीडियो कॉल उठाने से भी बचें। यह गिरोह देश के विभिन्न राज्यों के लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुका है। आरोपियों के मोबाइल नंबरों पर अब तक 69 शिकायतें मिल चुकी हैं। इसके अलावा उनके बैंक खातों को लेकर 157 शिकायतें दर्ज की गई हैं। जांच के दौरान बैंक खातों से करोड़ों के लेन-देन के साक्ष्य मिले हैं। आरोपियों ने बताया कि वे टेलीग्राम ऐप के जरिए भी लोगों को ठग रहे थे। वे ऑनलाइन होटल बुक करने वाले लोगों को ठग रहे थे।

गिरोह का मास्टरमाइंड दुबई में है, कॉल सेंटर के जरिए भी ठगी करते थे

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनके गिरोह का मास्टरमाइंड गन्नी है, जिसे विशाल और प्रिंस के नाम से भी जाना जाता है। गन्नी दुबई से गिरोह चलाता है। गिरफ्तार आरोपियों ने पहले श्रीलंका, सिंगापुर और अन्य देशों में कॉल सेंटर खोले थे। वहीं से वे सभी साइबर ठगी और ऑनलाइन सट्टा चला रहे थे। रेड्डी अन्ना ऐप के जरिए लोगों से पैसे निवेश करवाने के बाद जालसाज पैसे को अलग-अलग फर्जी खातों में ट्रांसफर कर देते थे।

गेमिंग ऐप के जरिए करते थे ठगी, फिर ठगी

साइबर सेल द्वारा पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने रेड्डी अन्ना नाम से गेमिंग ऐप भी बनाया है। सबसे पहले वे गेमिंग के जरिए लोगों से संपर्क बढ़ाते थे। लोगों को टास्क देते थे। काम पूरा होने के बाद वे लोगों के खातों में कुछ रकम भेज देते थे। जब अकाउंट में पैसे आ जाते तो लोगों का भरोसा बढ़ जाता। इसके बाद वे निवेश करने के लिए तैयार हो जाते। शुरुआती निवेश में उन्हें लाभ भी दिया जाता था ताकि लोग बड़ी रकम निवेश करें। जब निवेश की रकम एक बड़ी रकम पर पहुंच जाती थी, तो गिरोह के सदस्य संपर्क तोड़ देते थे।

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