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 सरकारी केंद्रों पर नहीं हो रही कोविड की जांच, निजी लैब में कट रही जेब

 सरकारी केंद्रों पर नहीं हो रही कोविड की जांच, निजी लैब में कट रही जेब

राजधानी लखनऊ में कोरोना के मरीज आने शुरू हो गए हैं। वहीं, अधिकारी अभी गाइडलाइन आने का इंतजार कर रहे हैं। लक्षण वाले मरीज पैसे खर्च कर निजी पैथोलॉजी लैब में जांच करा रहे हैं। जबकि सरकारी अस्पतालों में अभी तक जांच के लिए काउंटर भी नहीं बनाए गए हैं। अहम बात यह है कि जिले में पॉजिटिव मिले किसी भी मरीज का सैंपल अभी तक जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजा गया है, जिससे पता चल सके कि वह कोरोना का कौन सा प्रकार है। शहर में अब तक कोरोना के चार मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से उत्तराखंड से लौटे बुजुर्ग पुरुष मरीज (60) की पीजीआई में जांच हुई थी। पीजीआई के डॉक्टरों ने मरीज में कोरोना के नए प्रकार जेएन-1 की पुष्टि की है। वहीं, एशिया के रुचिखंड की एक महिला (53) की निजी सेंटर पर जांच हुई थी, जो अब ठीक हो चुकी है। इन दोनों मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री थी। इसके अलावा लाहौरगंज, डालीगंज की एक बुजुर्ग महिला (68) और गोमतीनगर विश्वास खंड के एक युवक (20) के भी कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। दोनों की जांच भी निजी पैथोलॉजी सेंटरों में हुई थी। इतने मामले सामने आने के बाद भी राजधानी में स्वास्थ्य विभाग सोया हुआ है। अस्पतालों और सीएचसी में जांच की व्यवस्था नहीं की गई है। आरोप है कि सीएचसी में जांच के लिए किट ही नहीं हैं। ऐसे में वहां जांच बंद है और मरीजों को निजी सेंटरों पर जाना पड़ रहा है, जहां उन्हें आरटीपीसीआर जांच के लिए 700 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह का कहना है कि शासन से जो दिशा-निर्देश आए हैं, वे अन्य जिलों के लिए हैं। लखनऊ के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।

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