देशव्यापी अवैध धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़, जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ा
देशभर में अवैध धर्मांतरण की साजिश रचने वाले सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के खिलाफ जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि छांगुर ने एक संगठित और सुनियोजित तरीके से धर्मांतरण का नेटवर्क खड़ा किया था, जो न केवल एक राज्य या जिले तक सीमित था, बल्कि देश के 579 जिलों में इसकी गहरी जड़ें फैली थीं।
सूत्रों के अनुसार, छांगुर ने जिन जिलों की पहचान की थी, वहां हिंदू आबादी बहुसंख्यक है। उसका मुख्य उद्देश्य इन जिलों में विशेष रूप से हिंदू युवतियों को निशाना बनाकर उनका धर्मांतरण कराना था। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने विभिन्न स्थानों पर सक्रिय टीमें गठित की थीं, जिनमें प्रशिक्षित युवक शामिल थे। इन युवकों को 'प्रेम जाल' में फंसा कर युवतियों का विश्वास जीतने और फिर उन्हें इस्लाम कबूल करवाने के लिए तैयार किया गया था।
छांगुर के एक करीबी सहयोगी के मुताबिक, इस साजिश में लगभग 3000 से अधिक युवकों को बतौर 'अनुयायी' मैदान में उतारा गया था। इन युवकों को हिंदू नाम, पहनावा और आचार-विचार अपनाने की ट्रेनिंग दी गई थी, ताकि वे समाज में आसानी से घुलमिल सकें और धर्मांतरण की इस प्रक्रिया को अंजाम दे सकें।
जांच एजेंसियों को संदेह है कि इस नेटवर्क को विदेशों से भी आर्थिक सहायता मिल रही थी। यही कारण है कि मामले की जांच में अब केंद्रीय एजेंसियों की भी भागीदारी हो चुकी है। एनआईए, आईबी और एटीएस जैसी एजेंसियां इस केस में गहराई से छानबीन कर रही हैं। विभिन्न राज्यों में छापेमारी भी की जा रही है और छांगुर के संपर्क में रहने वाले कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
इस पूरे मामले ने न केवल प्रशासनिक हलकों में, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी हलचल मचा दी है। कई हिंदू संगठनों ने इसे ‘लव जिहाद’ की सुनियोजित साजिश करार देते हुए सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, स्थानीय स्तर पर कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यदि छांगुर के नेटवर्क का समय रहते खुलासा न होता, तो यह अभियान व्यापक सामाजिक असंतुलन पैदा कर सकता था। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में जांच एजेंसियां किन-किन पर कार्रवाई करती हैं और इस पूरे रैकेट के पीछे की पूरी सच्चाई कब सामने आती है।

