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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर वेरिफिकेशन पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग का जवाब

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर वेरिफिकेशन पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग का जवाब

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक और कानूनी घमासान तेज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग (ECI) ने वोटर सत्यापन में उपयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख दस्तावेज—आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड—को SIR (Standard of Identification and Residence) प्रक्रिया में शामिल नहीं करने का स्पष्ट कारण बताया है।

चुनाव आयोग ने अदालत में दलील दी कि:

  • आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता है।

  • वोटर कार्ड की स्वयं की वैधता पर ही संदेह हो सकता है, क्योंकि वह केवल पंजीकरण के आधार पर जारी होता है।

  • राशन कार्ड को लेकर आयोग का कहना है कि ये बड़े पैमाने पर फर्जी पाए जाते हैं, इसलिए इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इन तीनों दस्तावेजों को SIR में शामिल करने पर पुनर्विचार करने को कहा था, लेकिन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में तीनों दस्तावेजों को अस्वीकार कर दिया है।

अब तक आयोग ने SIR के लिए 11 अन्य वैकल्पिक दस्तावेज निर्धारित किए हैं, जिनमें पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज शामिल हैं।

इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं, और सरकार पर नागरिकों की पहचान में भेदभाव और मनमानी का आरोप लगाया है। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि उनका प्रयास केवल चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखना है।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख तय होनी बाकी है, लेकिन यह मामला बिहार चुनाव से पहले काफी राजनीतिक तूल पकड़ता नजर आ रहा है।

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