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बलिया में CMS डॉक्टर 20 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार, जन औषधि केंद्र खोलने के नाम पर मांगी थी घूस

बलिया में CMS डॉक्टर 20 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार, जन औषधि केंद्र खोलने के नाम पर मांगी थी घूस

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक चौंकाने वाला भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) डॉक्टर वेंकटेश मौआर को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए विजिलेंस टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया

डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यक्ति से जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देने के लिए यह रिश्वत की मांग की थी। शिकायत मिलने पर विजिलेंस टीम ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया और डॉक्टर को रंगे हाथ पकड़ लिया।

जन औषधि केंद्र खोलने के नाम पर मांगी घूस

जानकारी के अनुसार, एक स्थानीय व्यक्ति ने डॉक्टर मौआर से बांसडीह CHC परिसर में जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन किया था। इसके लिए वैधानिक प्रक्रिया पूरी करने के बावजूद, डॉक्टर ने फाइल पास करने के बदले 20 हजार रुपये की मांग की। परेशान होकर व्यक्ति ने इस संबंध में विजिलेंस विभाग में शिकायत दर्ज कराई

विजिलेंस टीम की सटीक कार्रवाई

विजिलेंस टीम ने शिकायत की सत्यता की जांच के बाद जाल बिछाया और शुक्रवार को डॉक्टर को घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। टीम ने मौके से रिश्वत की रकम और अन्य दस्तावेज भी बरामद किए हैं। गिरफ्तार डॉक्टर को पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप

इस घटना के बाद जिले के स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने से सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। जन औषधि केंद्र जैसी योजना, जो गरीबों को सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जाती है, उसमें घूसखोरी की घटना सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

प्रशासन का बयान

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, डॉक्टर मौआर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। विजिलेंस टीम के एक अधिकारी ने बताया, “हमारे पास पहले से ही ठोस प्रमाण थे। गिरफ्तारी के समय पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई है। यदि आगे और भी अधिकारियों की भूमिका सामने आती है, तो जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा।”

जनता में आक्रोश, कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर गंभीर नाराजगी जताई है। लोगों का कहना है कि यदि जन स्वास्थ्य योजनाओं में इस तरह के भ्रष्टाचार को नहीं रोका गया, तो गरीबों और जरूरतमंदों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं भी सवालों के घेरे में आ जाएंगी।

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